हरतालिका तीज-निबंध-2

Started by Atul Kaviraje, September 18, 2023, 07:43:37 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                      "हरतालिका तीज"
                                     -----------------

मित्रो,

     आज दिनांक-१८.०९.२०२३-सोमवार है. आज "हरतालिका तीज" है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. इस बार हरतालिका तीज 18 सितंबर, सोमवार को मनाई जाएगी. इसको हरितालिका तीज और हरतालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको हरतालिका तीज की बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईए, पढते है हरितालिका तीज पर निबंध.

                       तीज त्यौहार पर निबंध--

             प्रस्तावना--

     सावन का महीना महिलाओं के लिए सबसे खास महीना होता है। इस महीने में  महिलाएं पूजा-पाठ करती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सावन के महीने में बहुत सारे त्योहार आते है। इस महीने में हरियाली तीज का त्योहार भी आता है, जिसको महिलाएं बड़े पर्व के साथ मनाती है। सावन के महीने में चारों तरफ हरियाली दिखायी देती है, इस लिये तीज के त्यौहार को हरितालिका तीज भी कहते हैं। हरितालिका तीज के त्योहार को महिलाएं बड़े उत्साहपूर्वक मनाती हैं। हरितालिका तीज का महिलाओं के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है, इस दिन महिलाओं और कुँवारी लड़कियों के द्वारा की जानी वाली पूजा से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

     मुख्य रूप से तीज का त्योहार अच्छे और मनचाहे वर की प्राप्ति के लिये कुँवारी लड़कियां उपवास रखती है। और ज्योतिषियों का कहना यह होता है कि जिन लड़कियों का विवाह नहीं हो पता है, उन लड़कियों को तीज के दिन उपवास रखना चाहिए और सच्चे मन से भगवान की पूजा-पाठ करना चाहिए। क्योंकि तीज के दिन पूजा-पाठ का करने का एक अलग ही विशेष महत्व होता है।

              हरियाली तीज कथा--

     प्रचलित कथा कथाओं के अनुसार सती ने हिमालयराज के घर पार्वती के रूप में उनका फिर से पुनर्जन्म हुआ था, तब उन्होंने शिव जी को पति के रूप में पाने के लिये बहुत तपस्या की। लेकिन उसी वक़्त नारद मुनि राजा हिमालय से मिलने के लिये गये और माता पार्वती की शादी करने के लिए भगवान विष्णु से शादी करने का सुझाव दिया। और नारद मुनि के इस सुझाव से हिमालयराज बहुत पसंद हुए और पार्वती जी का विवाह विष्णु जी से करवाने के लिये पूरी तरह से तैयार हो गये।

     जब यह बात पार्वती जी को चलती है कि पार्वती जी का विवाह उनके पिताजी हिमालयराज ने भगवान विष्णु से तय कर दिया है। तो इस बात से पार्वती बहुत दुखी होती है और दुख में आकर वह जंगल की ओर चली जाती है। पार्वती वहां पर रेत से शिवलिंग बनाया और शिव जी को पति के रूप मे पाने करने के लिए कई वर्षो तक कठोर तपस्या किया था। पार्वती जी ने तपस्या करते समय अन्न जल सब कुछ  त्याग दिया।

     उस समय माता पार्वती के सामने कई समस्याये आयीं लेकिन पार्वती जी ने हार नहीं माना और भी कई अन्य प्रकार की चुनौतियों का डांट कर समाना किया। तभी गिरिराज को अचानक पार्वती जी के गुम होने की खबर मिलती है, तो गिरिराज पार्वती जी को खोजने में धरती-पाताल एक कर दिया। लेकिन गिरिराज को पार्वती जी कही नहीं मिली, उस वक़्त माता पार्वती जंगल में एक गुफा के अंदर बैठ कर सच्चे मन से शिव जी को पाने की आराधना कर रही थी।

                        (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-द सिम्पल हेल्प.कॉम)
                       -------------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.09.2023-सोमवार
=========================================