हरतालिका तीज-निबंध-6

Started by Atul Kaviraje, September 18, 2023, 07:48:30 PM

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Atul Kaviraje

                                      "हरतालिका तीज"
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मित्रो,

     आज दिनांक-१८.०९.२०२३-सोमवार है. आज "हरतालिका तीज" है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. इस बार हरतालिका तीज 18 सितंबर, सोमवार को मनाई जाएगी. इसको हरितालिका तीज और हरतालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको हरतालिका तीज की बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईए, पढते है हरितालिका तीज पर निबंध.

              हरतालिका तीज पर निबंध--

     भारत में हरतालिका तीज का त्योहार मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। हरतालिका तीज को हरियाली तीज और कजरी तीज भी कहा जाता है। भारत में हरतालिका तीज का त्योहार मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। हरतालिका तीज को हरियाली तीज और कजरी तीज भी कहा जाता है। भारतीय हिंदू महिलाएं अपने सुहाग की कामना के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं। हर साल हरतालिका तीज का पर्व गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले आता है। हिंदू पंचांग कैलंडर के अनुसार, इस वर्ष भाद्रपुद के शुक्ल पक्ष तृतीया 11 अगस्त 2021 को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाएगा। आइये जानते हैं हरतालिका तीज का इतिहास, महत्व और निबंध कैसे लिखें।   हरतालिका तीज का इतिहास हरतालिका तीज का संबंध माता पार्वती से जुड़ा हुआ है। प्राचीन समय में पार्वती के पिता हिमालय ने पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से करने का वादा किया था। देवी पार्वती ने अपनी सहेलियों से खुद का अपहरण करने को कहा, जिसके बाद वह उन्हें जंगल में ले गई। क्योंकि पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थी, जिसके लिए उन्होंने तपस्या की और शिव की आराधना में लीन हो गई। शिव पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और शिव ने पार्वती से विवाह करने का वरदान दिया। तब पार्वती ने कहा कि जो भी स्त्री अपने पति ली लंबी उम्र के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखेगी, उसे शिव परिवार का आशीर्वाद मिलेगा।

     हरतालिका तीज का महत्व हमारी संस्कृति तीज-त्यौहारों, पर्व-उत्सवों से सजी है। कहा भी जाता है, भारतीय संस्कृति में सात वार और नौ त्यौहार हैं। इस रंग-रंगीली संस्कृति की जान हैं हमारी परंपराएं। देष के हर प्रांत की अनूठी परंपराओं पर धड़कता है हमारी भारतीय संस्कृति का दिल। जब इन परंपराओं को भक्ति-भाव में डूबकर उपवास और आराधना के साथ मनाया जाता है तो लगता है ईष्वर स्वयं आशीर्वाद देने धरा पर उतर आए हों। सावन के आगमन के साथ ही बारिष की रिमझिम फुहारों से स्नान कर पूरी धरती हरी चुनर ओढ़ कर तैयार हो जाती है। विदा होता सावन हरी-भरी धरती की सौगात भादो के हाथ में सौंप देता है। अब जी भर के रसपान करो प्रकृति के इस नवीन रूप का। सौदंर्य-सुगंध को हर मन उतार लो भीतर तक अपनी सांसो के सहारे। हर प्राणी आनंद का अनुभव करता है। इस षीतल सुरम्य वातावरण में हमारे पर्वों-उत्सवों का मजा चौगुना हो जाता है। तीज-त्योहार प्रकृति के सौंदर्य के आभूषण से सज जाते हैं। महिलाओं के व्रत उपवासों में श्रद्धा भक्ति के साथ वातावरण की सुंदरता भी शामिल हो जाती हैं।   हरतालिका तीज पर निबंध भाद्रपद या भादो मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र में आता है पर्व हरतालिका तीज। हरियाली मौसम में आने के कारण इसे हरियाली तीज भी कहते हैं। महिलाओं के लिए यह दिन सबसे खास होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं। कुआंरी लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं। भक्ति-भाव से पूर्ण इस कठिन व्रत को पूरे दिन निर्जल रहकर किया जाता है। यानी न कोई आहार ग्रहण किया जाता है न पानी पिया जाता है। प्रात काल स्नान कर शिवजी की आराधना में पूरा दिन समर्पित किया जाता है।

--By Narender Sanwariya
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                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी.करियर इंडिया.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.09.2023-सोमवार
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