गणेश चतुर्थी-कविता-18

Started by Atul Kaviraje, September 19, 2023, 05:12:15 PM

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Atul Kaviraje

                                      "गणेश चतुर्थी"
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मित्रो,

     आज दिनांक-१९.०९.२०२३-मंगळवार है. आज "गणेश चतुर्थी" है. भगवान गणेश को समर्पित पर्व गणेश चतुर्थी जल्द ही प्रारंभ होने वाला है। लोग इस दौरान घरों में बप्पा की विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। चतुर्थी तिथि 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होगी और 19 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगी। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको श्री गणेश चतुर्थी की बहोत सारी शुभकामनाये. आईए, पढते है गणेश चतुर्थी पर कविता. 

     गणेश चतुर्थी एक भाग्य त्योहार के रूप में पूरे भारतवर्ष में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। इस त्यौहार को और रोचक बनाने के लिए लोग विभिन्न प्रकार के कविता और शायरी से लोगों को शुभकामनाएं बांटते हैं अगर आप गणेश चतुर्थी पर कविता ढूंढ रहे हैं ताकि अपने सगे संबंधी और सोशल मीडिया पर साझा कर सकें तो इसमें हमने कुछ बेहतरीन कविता की सूची नीचे प्रस्तुत की है।

     आपको बता दें कि इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 31 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा। इस दिन शाम 3:23 पर भगवान गणेश की पूजा करने का शुभ मुहूर्त बताया गया है। अगर आप इस गणेश चतुर्थी कुछ बेहतरीन कविता अपने सोशल मीडिया स्टेटस पर साझा करना चाहते हैं तो नीचे दी गई कविताओं की सूची को एक बार अवश्य देखें।

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त्यौहार का नाम-गणेश चतुर्थी 2023
कब है ये त्योहार-19.09.2023-मंगळवार
कौन मनाते है- भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रुप में मनाते हैं
कैसे मनाते है-भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की जाती है उसकी आरती की जाती है और व्रत रखा जाता है
कहां मानते है-पूरे भारतवर्ष में हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोगों के द्वारा मनाया जाता है, मुख्य रूप से महाराष्ट्र में
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     हम सब जानते हैं कि गणेश चतुर्थी का त्योहार भगवान ने गणेश के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान गणेश के भक्त गाना इन्हें विघ्नहर्ता के नाम से पुकारते हैं इसलिए इनके जन्म उत्सव बड़े भव्य तरीके से मेला का आयोजन किया जाता है और बेहतरीन तरीके से खुसियां मनाई जाति है।

                गणेश चतुर्थी पर कविता--

हे गौरी के लाल,

देवलोक के तुम सरताज!

सुन ले गणेश मेरी पुकार,

प्रभु कर दे मेरी नैया पार!


रिद्धि-सिद्धि के तुम हो दाता,

दीन दुखियों के भाग्य विधाता!

तुझमें ज्ञान-सागर अपार,

प्रभु कर दे मेरी नैया पार!


कितना रूप राग रंग

कुसुमित जीवन उमंग!

अर्ध्य सभ्य भी जग में

मिलती है प्रति पग में!

                         (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-ईझी हिन्दी.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.09.2023-मंगळवार.
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