ऋषि पंचमी-जानकारी-5

Started by Atul Kaviraje, September 20, 2023, 05:34:44 PM

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Atul Kaviraje


                                       "ऋषि पंचमी"
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मित्रो,

     आज दिनांक-२०.०९.२०२३-बुधवार है. आज "ऋषि पंचमी" है. इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 19 सितंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी और 20 सितंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 16 मिनट पर इसका समापन होगा. पौराणिक मान्यता के अनुसार स्त्रियों को रजस्वला में धार्मिक कार्य, घर के कार्य करने की मनाई होती है. मराठी कविटके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको ऋषि पंचमी की बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईये, पढते है ऋषि पंचमी की  महत्त्वपूर्ण जानकारी. 

         स्त्रियों के लिए बेहद खास है ऋषि पंचमी व्रत 2023, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा और महत्व--

     दोस्तों हिंदी पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की सप्तमी को ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2023) मनाई जाती है. महिलाओं के लिए अटल सौभाग्यवती व्रत माना जाने वाला यह पर्व इस वर्ष 20 सितम्बर 2023, दिन बुधवार को पड़ रहा है. ऋषि पंचमी के दिन स्त्रियां सप्तऋषियों के सम्मान तथा रजस्वला दोष से शुद्धि के लिए उपवास रखकर पूजा करती हैं. मान्यता है कि शुद्ध मन से ऋषि पंचमी का व्रत (Rishi Panchami Vrat 2023) एवं पूजा करने से सारे दुःख-दोष मिट जाते हैं. भारत में कई जगहों पर ऋषि पंचमी को भाई पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।

     इस व्रत में किसी देवी-देवता की पूजा नहीं की जाती, बल्कि इस दिन विशेष रूप से सप्त ऋर्षियों का पूजन (kyo manaya jaata hai rishi panchmi vrat) किया जाता है। महिलाओं की माहवारी के दौरान अनजाने में हुई धार्मिक गलतियों और उससे मिलने वाले दोषों से रक्षा करने के लिए यह व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। समस्त पापों का नाश करने वाला यह व्रत पुण्य फलदायी है।

     इस दिन बिना जुती हुई भूमि से उत्पन्न फल आदि का भोजन करना चाहिए। ऋषि पंचमी (kab hai rishi panchmi 2023) को भाई पंचमी नाम से भी जाना जाता है। माहेश्वरी समाज में राखी इसी दिन बांधी जाती है। महिलाएं इस दिन सप्त ऋषि का आशीर्वाद प्राप्त करने और सुख शांति एवं समृद्धि की कामना से यह व्रत रखती हैं।

     इस दिन सप्त ऋषियों की पांरपरिक पूजा होती है। सात ऋषियों के नाम हैं – ऋषि कश्यप, ऋषि अत्रि, ऋषि भारद्वाज, ऋषि विश्वमित्र, ऋषि गौतम, ऋषि जमदग्नि और ऋषि वशिष्ठ। केरल के कुछ हिस्सों में इस दिन को विश्वकर्मा पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। इस व्रत में लोग उन प्राचीन ऋषियों के महान कार्यों का सम्मान, कृतज्ञता और स्मरण व्यक्त करते हैं, जिन्होंने समाज के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

--by Vidhya
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                           (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-आकृती.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-20.09.2023-बुधवार.
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