ऋषि पंचमी-जानकारी-6

Started by Atul Kaviraje, September 20, 2023, 05:36:09 PM

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Atul Kaviraje

                                         "ऋषि पंचमी"
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मित्रो,

     आज दिनांक-२०.०९.२०२३-बुधवार है. आज "ऋषि पंचमी" है. इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 19 सितंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी और 20 सितंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 16 मिनट पर इसका समापन होगा. पौराणिक मान्यता के अनुसार स्त्रियों को रजस्वला में धार्मिक कार्य, घर के कार्य करने की मनाई होती है. मराठी कविटके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको ऋषि पंचमी की बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईये, पढते है ऋषि पंचमी की  महत्त्वपूर्ण जानकारी. 

          ऋषि पंचमी 2023 शुभ मुहूर्त--

ऋषि पंचमी तिथि प्रारंभ   19 सितंबर 2023 को 13:40 PM बजे
ऋषि पंचमी तिथि समाप्त   20 सितंबर 2023 को 14:20 PM बजे
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             ऋषि पंचमी 2023 पूजन विधि--

यह व्रत जाने अनजाने हुए पापों के प्रक्षालन के लिए स्त्री-पुरुष दोनों को करना चाहिए।

व्रत करने वाले को गंगा नदी या किसी अन्य नदी अथवा तालाब में स्नान करना चाहिए। अथवा घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लेना चाहिए।

इसके बाद गोबर से लीपकर, मिट्टी या तांबे का जल भरा कलश रखकर अष्टदल कमल बनावें।

इस दिन घर की साफ़-सफाई के बाद सात ऋषियों के साथ देवी अरुंधती की स्थापना करनी चाहिए।

घर के मंदिर के सामने एक चौक बनाकर उस पर सप्त ऋषि का प्रतीक चिह्न बनाकर कलश की स्थापना करे.

धूप दीप प्रज्जवलित कर कलश रोली लगायें.

सुहागन महिलाएं सिंदूर से टीकें तथा मौसमी फल तथा मिष्ठान का भोग लगाएं.

         सप्त ऋषियों की पूजा करते हुए हाथ में पुष्प एवं अक्षत लेकर निम्न मंत्रों का जाप करें--

कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।।
गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।

               ऋषि पंचमी 2023 व्रत कथा--

     सिताश्व नाम के राजा ने एक बार ब्रह्माजी से पूछा – पितामह! सब व्रतों में श्रेष्ठ और तुरन्त फलदायक व्रत कौन सा है? ब्रह्माजी ने बताया कि ऋषि पंचमी का व्रत सब व्रतों में श्रेष्ठ और पापों का विनाश करने वाला है। ब्रह्माजी ने कहा, विदर्भ देश में उत्तंक नामक एक सदाचारी ब्राह्मण अपनी पतिव्रता पत्नी सुशीला के साथ रहता था. उनके एक पुत्र तथा एक पुत्री थी. विवाह योग्य होने पर ब्राह्मण ने एक कुलीन वर से कन्या का विवाह कर दिया.

     दैवयोग से कुछ दिनों बाद पुत्री विधवा हो गई. इससे दुखी होकर ब्राह्मण दम्पति घर-बार त्याग कर कन्या सहित गंगा तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे. एक दिन ब्राह्मण की कन्या सो रही थी कि तो उसका पूरा शरीर कीड़ों से भर गया. कन्या ने यह बात मां से कही. मां ने पुत्री की व्यथा कथा पति को सुनाते हुए पूछा, हे प्राणनाथ! मेरी साध्वी कन्या की ऐसी गति होने की क्या वजह हो सकती है?

--by Vidhya
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                            (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-आकृती.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-20.09.2023-बुधवार.
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