ऋषि पंचमी-जानकारी-12

Started by Atul Kaviraje, September 20, 2023, 05:43:47 PM

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Atul Kaviraje

                                       "ऋषि पंचमी"
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मित्रो,

     आज दिनांक-२०.०९.२०२३-बुधवार है. आज "ऋषि पंचमी" है. इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 19 सितंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी और 20 सितंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 16 मिनट पर इसका समापन होगा. पौराणिक मान्यता के अनुसार स्त्रियों को रजस्वला में धार्मिक कार्य, घर के कार्य करने की मनाई होती है. मराठी कविटके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको ऋषि पंचमी की बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईये, पढते है ऋषि पंचमी की  महत्त्वपूर्ण जानकारी.

              ऋषि पंचमी व्रत कथा--

     ब्रह्मपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार एक बार परमपिता ब्रह्मा से सिताश्व नाम के एक राजा ने एक प्रश्न किया। राजा सिताश्व ने ब्रह्मा जी से पूछा कि, "हे परमपिता! कृपा करके मुझे बताइये कि ऐसा कौन सा सर्वश्रेष्ठ व्रत है, जिसको करने से मनुष्य के सभी प्रकार के पापों का शमन हो जाता हैं?" तब ब्रह्मा जी ने उत्तर देते हुये कहा, "हे सिताश्व! मनुष्य द्वारा जाने-अंजाने में किय गये सभी पापों का नाश करने वाला दुर्लभ व्रत है, ऋषि पंचमी का व्रत। इस व्रत को करने से मनुष्य अपने सभी पापों से मुक्त होकर स्वर्ग को प्राप्त करता हैं।"

     तब राजा सिताश्व ने उनसे इस व्रत के विषय में और बताने का आग्रह किया। तब ब्रह्माजी ने राजा सिताश्व को ऋषि पंचमी की कथा सुनायी। ब्रह्मा जी ने राजा सिताश्व से कहा, प्राचीन समय में विदर्भ देश में एक बहुत ही सदाचारी ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था। उस ब्राह्मण का नाम उत्तंक था और उसकी पत्नी का नाम सुशीला था। सुशीला और उत्तंक के एक पुत्र और एक पुत्री थी।

     कन्या के विवाह योग्य होने पर उस ब्राह्मण ने उसका विवाह एक योग्य लड़के के साथ सम्पन्न कर दिया। परन्तु दुर्भाग्यवश उस लड़की के पति की असमय मृत्यु होने से वो बहुत ही कम आयु में विधवा हो गई। पुत्री के साथ इतनी बड़ी दुर्घटना हो जाने के कारण वो ब्राह्मण दम्पति बहुत दुखी रहने लगें। इधर उनकी पुत्री भी इतनी कम आयु में विधवा होने के दुख से बाहर नही आ पा रही थी। इस कारण उसका स्वास्थ्य भी दिन ब दिन खराब होने लगा।

     अपने परिवार पर आये इस संकट का समाधान पाने के लिये वो ब्राह्मण एक ऋषि के पास गया। उस ऋषि ने उसे बताया कि उनके परिवार से जाने-अंजाने में कुछ गलतियाँ हुई हैं उन्ही के कारण उन्हे यह दिन देखने पड़ रहे हैं। ऋषि ने उसे बताया कि हिंदु धर्म में जो नियम है उनका पूर्ण रूप से पालन ना करने के कारण ऐसा हुआ हैं। तब उस ब्राह्मण ने उनसे इसका समाधान पूछा तो उन्होने कहा, अब इस दुख और संताप का नाश करने के लिये और अपने उन पापों को नष्ट करने के लिये तुम अपने परिवार के साथ ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजन करों।

     उस ऋषि से व्रत की विधि और उसका विधान जानकर वो ब्राह्मण अपने घर आ गया। उसने सारी बात अपनी पत्नी, पुत्री और पुत्र को बताई। तब उसके बाद से वो सब ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजन पूरी श्रद्धा और भक्ति से करने लगे। ऋषि पंचमी के व्रत के प्रभाव से उनके समस्त पाप नष्ट हो गये और अंत में वो जन्म-मृत्यु के चक्र से छूटकर स्वर्गलोक को चले गये।

                            (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-प्रभूभक्ती.नेट)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-20.09.2023-बुधवार.
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