नरक चतुर्दशी-जIनकारी-2

Started by Atul Kaviraje, November 12, 2023, 09:56:46 PM

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Atul Kaviraje


                                    "नरक चतुर्दशी"
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मित्रो,

     आज दिनांक-१२.११.२०२३- रविवार है. आज "नरक चतुर्दशी" है. इस दिन सुबह अभ्यंग स्नान किया जाता है, स्त्रियां इसमें उबटन लगाकर अपना रूप निखारती हैं. वहीं शाम के समय यमराज के निमित्त दीपदान करने की प्रथा है. मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको नरक चतुर्दशी की बहोत सारी शुभकामनाये. आईए, लेते है नरक चतुर्दशी की जIनकारी.

           नरक चतुर्दशी की पूजा विधि और रीतिरिवाज:--

     Narak Chaturdashi को एक बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। लोग सवेरे से पहले उठते हैं और पूरे दिन धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इस त्योहार से जुड़े कुछ मुख्य अनुष्ठान निम्नलिखित हैं:--

-तेल स्नान (अभ्यंग स्नान): जल्दी तेल स्नान करना एक अभिन्न नरक चतुर्दशी परंपरा है। लोग सूर्योदय से पहले उठते हैं, तेल/तिल का तेल लगाते हैं और स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस अनुष्ठान से स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और बीमारियों से रक्षा होती है।

-दीये जलाना: बुराई के विनाश का प्रतीक और प्रकाश का स्वागत करने के लिए दीये जलाए जाते हैं। परंपरागत रूप से, 14 दिवसीय उत्सव के सम्मान में 14 दीये जलाए गए।

-देवी काली पूजा: भक्त इस दिन देवी काली की पूजा भी करते हैं। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने नरकासुर की सेना को नष्ट करने में भगवान कृष्ण की मदद की थी।

-यम पूजा: कुछ लोग अकाल मृत्यु से सुरक्षा पाने के लिए नरक चतुर्दशी पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी करते हैं।

उत्सव के भोजन का सेवन: इस दिन करंजी, नरक चतुर्दशी की मिठाइयाँ और चिवड़ा जैसे पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं। कड़वी जड़ी-बूटियों और पत्तियों का सेवन भी आम है।

-नरकासुर का पुतला जलाना: भारत के ग्रामीण हिस्सों में, कृष्ण के हाथों उसकी मृत्यु का नाटक करने के लिए पटाखों से बना नरकासुर का पुतला जलाया जाता है।

-खेल खेलना: नरक चतुर्दशी पर परिवार अक्सर मनोरंजन और मेलजोल के रूप में पाशा (पासा) जैसे खेल खेलते हैं।

-खरीदारी और सजावट: इस शुभ त्योहार के दिन लोग दिवाली उपहार, कपड़े और घर की सजावट की वस्तुओं की भी खरीदारी करते हैं।

     नरक चतुर्दशी उत्सव में कुछ दिलचस्प क्षेत्रीय विविधताएं और रीति-रिवाज देखें:--

Maharashtra में इस त्यौहार को 'नरक चौदस/Narak Chaudas' कहा जाता है। विशेष नरक चतुर्दशी तेल से सिर की मालिश की जाती है। Sri Satyanarayan की आरती की जाती है।

Gujarat में, काली पूजा पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस दिन को 'काली चौदस/Kali Chaudas' के नाम से जाना जाता है। कंसार, घुघरा और कडबोली जैसी पारंपरिक मिठाइयाँ घर पर बनाई जाती हैं।

Goa में शाम को Narakasura के पुतले जलाये जाते हैं। कोंकणी में इस त्योहारको 'कुष्मांडा/Kushmanda' के नाम से जाना जाता है। विशेष कुष्मांडा कारी (कटहल पकौड़ी) तैयार की जाती हैं।

Karnataka में नरक चतुर्दशी से ही दीपावली उत्सव शुरू हो जाता है। इसे 'नरक चतुर्दशी' या 'बाली पद्यामी' कहा जाता है।

Tamil Nadu में इस त्यौहार को 'नरका चतुर्थसी' कहा जाता है। लोग सूर्योदय से पहले उठते हैं और तेल से स्नान करते हैं। घर-घर में दीपक जलाए जाते हैं।

Kerala में रीति-रिवाज तमिलनाडु के समान हैं। तेल मालिश के अलावा, लोग सुबह-सुबह अनुष्ठान के बाद 'वामनम/Vamanam' नामक खेल भी खेलते हैं।

Bihar और Eastern UP में, इस दिन को रोशनी और पटाखों के साथ 'छोटी दिवाली/Chhoti Diwali' के रूप में मनाया जाता है। पुआ और खाजा नामक विशेष मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।

West Bengal में इस त्यौहार को 'काली चौदस/Kali Chaudas' या 'भूत चतुर्दशी' के नाम से जाना जाता है। भूत का अर्थ है भूत और ऐसा माना जाता है कि यह दिन बुरी आत्माओं को दूर करता है।

     इस प्रकार, हम देखते हैं कि नरक चतुर्दशी उत्सव/Narak Chaturdashi celebration राज्यों और भाषाओं के अनुसार कैसे भिन्न होता है। लेकिन सार एक ही है - अंधकार पर प्रकाश की विजय।

                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दिलदारनगर.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-12.11.2023-रविवार.
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