हिंदू हृदयसम्राट बाळासाहेब ठाकरे पुण्यतिथी-जIनकारी-2

Started by Atul Kaviraje, November 17, 2023, 09:37:19 PM

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Atul Kaviraje

                         "हिंदू हृदयसम्राट बाळासाहेब ठाकरे पुण्यतिथी"
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मित्रो,

     आज दिनांक-१७.११.२०२३-शुक्रवार है. आज "हिंदू हृदयसम्राट बाळासाहेब ठाकरे" की पुण्यतिथी है. करीब चार दशक तक महाराष्ट्र की राजनीति को अपने इशारों पर नचाने वाले शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे की आज ग्यारहवी पुण्यतिथि है। उन्होंने आज के ही दिन (17 नवंबर 2012) 86 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कहा था। बाला साहब की छवी एक कट्टर हिंदू नेता के तौर पर रही. उनकी पवित्र स्मृतियोको वंदन करके आईए लेते है कुछ जIनकारी--

            उनके देहांत के बाद हुए विवाद--

     बाल ठाकरे जी कोई आम नेता नहीं थे वह किसी के लिए भगवान तो किसी के लिए यमराज भी थे। 17 नवंबर 2012 को कार्डियक अरेस्ट के परिणामस्वरूप ठाकरे की मृत्यु के बाद मुम्बई तुरंत एक आभासी पड़ाव में आया।

     उनकी मौत की खबर फैलने के साथ ही दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हो गए और पूरे महाराष्ट्र राज्य में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया। मुंबई में पुलिस की एक बड़ी टूकडी, राज्य रिजर्व पुलिस बल की 15 इकाइयाँ और रैपिड एक्शन फोर्स की तीन टुकड़ियों को तैनात किया गया।

     बताया यह भी जाता है कि शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने ही कुछ स्थानों पर दुकानें बंद करने के लिए मजबूर किया। उस समय प्रधानमंत्री पद पर विराजमान 'डॉ. मनमोहन सिंह' ने लोगों से शांत रहने का आह्वान किया और ठाकरे के "मजबूत नेतृत्व" की प्रशंसा की।

     हालांकि उन्हें शिवाजी पार्क में एक राजकीय सम्मान दिया गया, जिससे कुछ विवाद पैदा हुए। 1920 में हुए बाल गंगाधर तिलक के बाद यह शहर का पहला सार्वजनिक अंतिम संस्कार था।

           बाला साहेब ठाकरे का अंतिम संस्कार और विवाद--

     बाल ठाकरे के शरीर को 17 नवंबर को शिवाजी पार्क में ले जाया गया। उनके अंतिम संस्कार में कई शोकियों ने भाग लिया, हालांकि गिनती के कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं थे। लेकिन मीडिया स्रोतों के मुताबिक़ सीमा लगभग 1 मिलियन, से 1.5 मिलियन और लगभग 2 मिलियन से अधिक दर्ज की गई है।

     दाह संस्कार अगले दिन 18 नवंबर को हुआ, जहाँ उनके पुत्र उद्धव ने चिता को अग्नि दी। और इस कार्यक्रम का राष्ट्रीय टेलीविजन चैनलों पर सीधा प्रसारित किया गया था।

     कोई आधिकारिक पद नहीं होने के बावजूद, उन्हें 21-बंदूकों की सलामी दी गई, जो एक दुर्लभ सम्मान था। बिहार विधानसभा के दोनों सदनों ने भी श्रद्धांजलि दी।

     अंतिम संस्कार के खर्चों ने तब और विवाद पैदा कर दिया जब मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि बीएमसी ने करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल किया था। इन रिपोर्टों के जवाब में, पार्टी ने बाद में निगम को 500,000 रुपये का चेक भेजा।

--By-Sandeep Kumar
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                         (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हॅक्सिट्रिक.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-17.11.2023-शुक्रवार.
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