श्री विष्णू, सृष्टिके पालनकर्ता

Started by Atul Kaviraje, November 06, 2024, 09:35:37 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

श्री विष्णू, सृष्टिके पालनकर्ता-

श्री विष्णू हिंदू धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं और उन्हें सृष्टिके पालनकर्ता के रूप में पूजा जाता है। वे सृष्टि के संहारक शिव और सृजनकर्ता ब्रह्मा के साथ त्रिमूर्ति के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। जहां ब्रह्मा सृष्टि का निर्माण करते हैं, वहीं शिव उसका संहार करते हैं, विष्णू उसे बनाए रखते हैं और उसका पालन करते हैं। विष्णू के इस भूमिका को समझना और उनका ध्यान करना, मानवता के लिए शांति, समृद्धि और धर्म के मार्ग पर चलने का एक आदर्श है।

श्री विष्णू का रूप और स्वरूप
श्री विष्णू को आमतौर पर चार हाथों वाले देवता के रूप में चित्रित किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक हाथ में एक प्रतीक होता है:

चक्र (चक्र) - यह उनके हाथ में एक अत्यधिक शक्तिशाली हथियार है, जो समय और धर्म के चक्र को दर्शाता है।
गदा (मौली) - यह शारीरिक बल और शक्ति का प्रतीक है, जो विष्णू के द्वारा समस्त सृष्टि का संरक्षण करने के लिए उपयोग किया जाता है।
पद्म (कमल) - यह प्रतीक शांति, पवित्रता और सुंदरता का है।
शंख (शंख) - यह देवता के आह्वान और धर्म की पुकार को दर्शाता है, साथ ही यह समुद्र मंथन से उत्पन्न अमृत का भी प्रतीक है।
इन प्रतीकों के माध्यम से श्री विष्णू यह संदेश देते हैं कि धर्म, शक्ति, शांति और सृष्टि का संरक्षण एक संतुलित और निरंतर प्रयास है।

विष्णू के प्रमुख अवतार
श्री विष्णू के दस प्रमुख अवतार, जिन्हें दशावतार कहा जाता है, भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं में अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन अवतारों के माध्यम से विष्णू ने पृथ्वी पर आकर धर्म की स्थापना की और अधर्म का नाश किया।

मत्स्य अवतार
श्री विष्णू का पहला अवतार मत्स्य (मछली) रूप में हुआ। इस अवतार में उन्होंने समुद्र मंथन से प्राप्त वेदों और अन्य शास्त्रों को राक्षसों से बचाने के लिए एक बड़ी मछली के रूप में प्रकट होकर उन्हें सुरक्षित किया।

कूर्म अवतार
कूर्म (कछुए) के रूप में विष्णू ने समुद्र मंथन में देवताओं की सहायता की। वे पर्वत को अपनी पीठ पर लेकर समुद्र मंथन में सहायता करते हैं, जिससे अमृत प्राप्त होता है और देवताओं को विजय प्राप्त होती है।

वराह अवतार
वराह (सूअर) अवतार में श्री विष्णू ने पृथ्वी को राक्षस हिरण्याक्ष से बचाया। उन्होंने सूअर के रूप में पृथ्वी को समुद्र के भीतर से बाहर निकाला और उसे सुरक्षित किया।

नृसिंह अवतार
नृसिंह (मानव-शेर) अवतार में विष्णू ने राक्षसों के अत्याचार से पृथ्वी को मुक्त किया। इस अवतार में उन्होंने राक्षस राजा हिरण्यकशिपू का वध किया और धर्म की पुनर्स्थापना की।

वामन अवतार
वामन (बौना) अवतार में विष्णू ने राक्षस राजा बलि का वध किया और पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की। वामन ने तीन कदमों में संपूर्ण पृथ्वी को नाप लिया और बलि से उनका राज्य वापस लिया।

परशुराम अवतार
परशुराम (ब्रह्मचारी ऋषि) अवतार में विष्णू ने अत्याचारियों का विनाश किया। उन्होंने पापियों को उनके कर्मों का दंड दिया और पृथ्वी को न्यायपूर्ण बनाया।

राम अवतार
श्रीराम विष्णू के सातवें अवतार थे, जिन्होंने राक्षसों के राजा रावण का वध किया और धर्म की पुनर्स्थापना की। राम के जीवन से हमें कर्तव्य, आदर्श और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।

कृष्ण अवतार
श्री कृष्ण का अवतार हिंदू धर्म में सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण है। श्री कृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया, जिसमें कर्म, योग और भक्ति के सिद्धांतों को समझाया। उन्होंने महाभारत में पांडवों की सहायता की और अधर्म के खिलाफ धर्म की विजय सुनिश्चित की।

बुद्ध अवतार
श्री विष्णू ने बुद्ध के रूप में अवतार लिया, जिसमें उन्होंने अहिंसा, करुणा और शांति का संदेश दिया। उनका यह अवतार समाज में जागरूकता और मानसिक शांति के लिए था।

कल्कि अवतार
कल्कि अवतार विष्णू का भविष्य में होने वाला अवतार है। इस अवतार में वे अधर्म और पापियों का नाश करेंगे और सत्य और धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे।

श्री विष्णू का महत्त्व
श्री विष्णू के महत्त्व को समझना हमारे जीवन के दृष्टिकोण को भी प्रभावित करता है। वे सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में हमें यह संदेश देते हैं कि जीवन में संतुलन और धर्म का पालन अत्यंत आवश्यक है। वे सृष्टि के सृजन, पालन और संहार के चक्र में भागीदार हैं, और यही चक्र निरंतर चलता रहता है। श्री विष्णू का जीवन हमें यह सिखाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करने में कोई भी समर्पण और त्याग दिखाना चाहिए। वे हमें सिखाते हैं कि जैसे- जैसे समाज में बुराई बढ़ती है, वैसे- वैसे धर्म की स्थापना के लिए हमें अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

निष्कर्ष
श्री विष्णू न केवल एक देवता हैं, बल्कि वे जीवन के सत्य, धर्म, शांति और समृद्धि के प्रतीक हैं। उनके दस अवतारों के माध्यम से हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने का अवसर मिलता है। वे सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में हमसे यह संदेश देते हैं कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए धर्म के रास्ते पर चलना चाहिए और संसार में संतुलन बनाए रखना चाहिए। विष्णू का उपासना हमें जीवन में आंतरिक शांति, समृद्धि और संतुलन प्रदान करती है। उनके रूपों में हर कोई अपनी आस्थाओं और विश्वासों के अनुसार परम शांति और मुक्ति की प्राप्ति कर सकता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-06.11.2024-बुधवार.
===========================================