श्री हरि विठोबा, सभी संतों का भक्तिस्थान

Started by Atul Kaviraje, November 06, 2024, 09:36:17 PM

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Atul Kaviraje

श्री हरि विठोबा, सभी संतों का भक्तिस्थान-

"श्री हरि विठोबा" या "जय विठोबा" यह शब्द भारतीय भक्तिसंप्रदाय का अभिन्न हिस्सा हैं। विशेष रूप से महाराष्ट्र में विठोबा या पंढरपूर के विठोले की पूजा और उनके प्रति श्रद्धा अनमोल और व्यापक है। विठोबा, जिन्हें श्री हरि, श्री कृष्ण और भगवान विष्णु के रूप में भी पूजा जाता है, सभी संतों का भक्तिस्थान हैं। वे न केवल अपने भक्तों के लिए एक आश्रय हैं, बल्कि भारतीय भक्ति आंदोलन के हर प्रमुख संत ने उनकी उपासना और आराधना में अपना जीवन समर्पित किया है। विठोबा का महत्व केवल उनके दिव्य रूप में नहीं, बल्कि उनके माध्यम से भक्तिरस की गहराई और परम प्रेम के मार्ग में है।

विठोबा का रूप और महत्व
विठोबा का रूप सामान्यतः एक बालक के रूप में चित्रित किया जाता है, जो एक हाथ में शंख और दूसरे हाथ में चक्र लिए हुए हैं। उनके साथ उनकी प्रिय मूर्ति, देवी रुक्मिणी भी अक्सर होती हैं। वे एक साकार रूप में दर्शन देते हैं, जो विश्वास और भक्ति की शक्ति को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव कराता है। विठोबा का प्रमुख संदेश यही है कि भगवान का रूप साकार भी हो सकता है, और वे अपने भक्तों से सशरीर जुड़े हुए हैं।

संतों का विठोबा के प्रति प्रेम
संत तुकाराम, संत एकनाथ, संत ज्ञानेश्वर, संत रामदास, संत सूरदास और अन्य असंख्य भक्त संतों ने विठोबा की भक्ति को अपने जीवन का मूल माना। इन संतों का कहना था कि भगवान विठोबा केवल एक आदर्श या परम सत्ता नहीं, बल्कि एक सजीव, प्रेमपूर्ण और हमारे साथ रहने वाले मित्र हैं। हर संत ने अपने अभंगों, भजनों, और काव्य रचनाओं में विठोबा के दिव्य रूप का गान किया।

संत तुकाराम महाराज
संत तुकाराम महाराज ने विठोबा के प्रति अपनी अनन्य भक्ति को अभिव्यक्त किया। उनका जीवन और भक्ति समर्पण का आदर्श बन गया। तुकाराम के अभंगों में विठोबा के प्रति अटूट प्रेम और विश्वास झलकता है। उनका प्रसिद्ध "विठोबा, हरि विठोबा" का उद्घोष आज भी लाखों भक्तों के हृदय में गूंजता है। उन्होंने हर परिस्थिति में भगवान के प्रति पूर्ण निष्ठा और समर्पण का संदेश दिया।

संत ज्ञानेश्वर महाराज
संत ज्ञानेश्वर महाराज ने 'ज्ञानेश्वरी' के माध्यम से न केवल वेदों और गीता का सरल और गूढ़ अर्थ बताया, बल्कि भक्ति के महत्व को भी उद्घाटित किया। वे विठोबा के परम भक्त थे, और उन्होंने हर व्यक्ति के लिए भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण को प्राथमिकता दी। उनकी भक्ति की गहराई ने महाराष्ट्र में विठोबा की उपासना को एक नई दिशा दी।

संत एकनाथ महाराज
संत एकनाथ ने भी विठोबा के प्रति अपनी भक्ति को अनेक कविताओं और अभंगों के माध्यम से व्यक्त किया। उनका जीवन यह सिद्ध करता है कि भक्ति केवल शब्दों में नहीं, बल्कि जीवन में भी दिखनी चाहिए। विठोबा के प्रति उनका प्रेम और निष्ठा उन्हें भक्तों का आदर्श बना गया।

संत रामदास स्वामी
संत रामदास स्वामी ने भगवान राम के साथ-साथ विठोबा की उपासना भी की। वे मानते थे कि हर भगवान एक ही ब्रह्म का रूप है और किसी भी रूप में उसकी पूजा की जा सकती है। रामदास स्वामी ने विठोबा के नाम का जाप करने की महिमा को बताया और भक्ति के साधक के लिए उस नाम को अपने जीवन का आधार बनाया।

विठोबा और भक्तिरस
विठोबा का नामकरण और उनके अवतार का उद्देश्य केवल दिव्य शक्ति का दर्शन कराना नहीं था, बल्कि यह था कि वह अपने भक्तों के दुःख-दर्द को समाप्त करें और उन्हें आत्मज्ञान एवं आंतरिक शांति प्रदान करें। विठोबा के प्रति भक्तों का प्रेम न केवल उनके भक्ति मार्ग को उन्नति प्रदान करता है, बल्कि वे आत्मा की शुद्धि और परम सुख की प्राप्ति का मार्ग भी दिखाते हैं।

विठोबा की उपासना के साथ जुड़ी भक्तिरस की परंपरा ने पूरे भारत में भक्ति आंदोलन को नई दिशा दी। संतों के अभंगों और भजनों ने भक्तिरस का अनुभव किया और इस मार्ग पर चलने वाले भक्तों को आनंद की प्राप्ति हुई। भगवान का नाम, उनके प्रति शरणागति और प्रेम ही जीवन का सर्वोत्तम मार्ग है, यह संतों ने अपने जीवन से सिद्ध किया।

विठोबा के दर्शन
पंढरपूर का विठोबा मंदिर एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां लाखों भक्त प्रतिवर्ष यात्रा करने आते हैं। पंढरपूर में विठोबा के दर्शन करना न केवल धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि एक आंतरिक शांति और आनंद की प्राप्ति भी है। विठोबा का दर्शन करने से मन की अशांति और जीवन की निराशाएँ दूर होती हैं। भक्तों का मानना है कि जब वे विठोबा के चरणों में समर्पित होते हैं, तो वे अनंत प्रेम, करुणा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

निष्कर्ष
"श्री हरि विठोबा, सभी संतों का भक्तिस्थान" यह उद्धरण न केवल एक धार्मिक आस्था को व्यक्त करता है, बल्कि यह भारतीय भक्ति परंपरा की गहराई और उसका जीवंत प्रतीक है। विठोबा के प्रति संतों की भक्ति और उनके जीवन में विठोबा का केंद्रीय स्थान यह सिद्ध करता है कि भगवान केवल एक उच्च शक्ति नहीं, बल्कि एक साथी और मार्गदर्शक होते हैं। संत तुकाराम, संत ज्ञानेश्वर, संत एकनाथ और अन्य संतों की भक्ति ने विठोबा को न केवल एक देवता के रूप में, बल्कि प्रेम, भक्ति और आत्मसमर्पण के आदर्श रूप में प्रतिष्ठित किया। विठोबा का जीवन दर्शन हमें यह सिखाता है कि भगवान से वास्तविक संबंध केवल प्रेम और भक्ति से स्थापित होता है, और यही सत्य है जिसे सभी संतों ने अपने जीवन में आत्मसात किया।

जय हरि विठोबा!

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-06.11.2024-बुधवार.
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