जय काली माता-1

Started by Atul Kaviraje, November 08, 2024, 04:23:58 PM

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Atul Kaviraje

जय काली माता –

प्रस्तावना:

"जय काली माता!" यह वाक्य भारत में देवी काली के प्रति श्रद्धा और भक्ति का अभिव्यक्ति है। काली माता को "दक्षिणा काली" और "महाकाली" के नाम से भी जाना जाता है। वे शक्तिशाली देवी हैं, जो बुरी शक्तियों और असुरों का संहार कर इस संसार को शांति और सुख प्रदान करती हैं। काली माता का स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली और डरावना होता है, लेकिन उनके इस रूप के पीछे एक गहरी दार्शनिक और आध्यात्मिक दृष्टि छिपी होती है। वे काल (समय) और प्रकृति की नश्वरता की प्रतीक हैं, जो सृष्टि के सृजन और विनाश के संचालन में सहायक हैं।

काली माता का तात्त्विक अर्थ और उनके स्वरूप की व्याख्या विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और तात्त्विक दृष्टिकोण से की जाती है। उनका रूप जितना भयावह है, उतनी ही गहरी प्रेम और आशीर्वाद देने वाली भी है। वे सभी पापों, नकारात्मक ऊर्जा और दुखों का नाश करने वाली हैं, और उनके आशीर्वाद से भक्तों को शांति, शक्ति और सुरक्षा मिलती है।

काली माता का रूप:

काली माता का रूप अत्यंत भयावह और विकराल होता है, और यही कारण है कि उन्हें देखकर अधिकांश लोग डर जाते हैं। वे आमतौर पर काले रंग में चित्रित की जाती हैं, और उनके शरीर पर रक्तस्नात व लावण्यपूर्ण आभूषण होते हैं। उनके मस्तक में खोपड़ी का माला लपेटी जाती है, और उनके हाथों में एक खड्ग (तलवार) होता है। उनका रूप प्रतीक है कि वे सभी असुरों और बुराई का विनाश करती हैं। काली माता के मुँह से ताजे रक्त की धार निकलती है, जिससे यह दर्शाया जाता है कि वे पाप और अज्ञानता का नाश करती हैं।

काली माता का स्वरूप भले ही विकराल हो, लेकिन उनका उद्देश्य कभी भी बुरा नहीं होता। वे जीवन और मृत्यु की चक्रव्यूह को नियंत्रित करती हैं, और इस संसार की निरंतरता और परिवर्तन को बनाए रखने के लिए यह रूप धारण करती हैं। उनके द्वारा की गई हर क्रिया महादेव की महिमा के अनुरूप होती है। काली माता को "कालरात्रि" भी कहा जाता है, क्योंकि वे काल के रूप में उपस्थित होती हैं, जो समय के साथ सब कुछ नष्ट कर देती हैं।

काली माता की पूजा:

काली माता की पूजा एक विशेष प्रकार की साधना है, क्योंकि उनका रूप अत्यधिक भयंकर होता है। उनके दर्शन से पहले एक भक्त को आत्म-शुद्धि की आवश्यकता होती है। काली माता की पूजा में विशेष प्रकार के मंत्रों का जप, हवन और तंत्र-मंत्र की साधना की जाती है। उनकी पूजा करने के लिए कुछ विशेष विधियाँ होती हैं:

विधि: काली माता की पूजा सबसे पहले घर या मंदिर को स्वच्छ करके की जाती है। पूजा स्थल पर उनकी मूर्ति या चित्र स्थापित की जाती है। पूजा में विशेष रूप से तंत्र-मंत्रों का उच्चारण और महाकाली के मंत्र का जप किया जाता है।

मंत्र: काली माता के प्रमुख मंत्रों में "ॐ क्लीं काली क्लीं" और "ॐ क्लीं कालिका महाकालिका शंम्भवी महाकाली स्वाहा" शामिल हैं। इन मंत्रों का जप करने से काली माता की कृपा प्राप्त होती है।

नैवेद्य: काली माता को काले तिल, मांसाहार, कच्ची सामग्री और विभिन्न फल अर्पित किए जाते हैं। विशेष रूप से काली पूजा में रक्त और मांस का अर्पण होता है, जो उनके विकराल रूप को शांत करने के लिए होता है।

उपवास: कई भक्त काली माता की पूजा के दिन उपवासी रहते हैं और विशेष आहार लेते हैं। काली पूजा के दौरान विशेष रूप से साधना और उपवास का महत्व है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-08.11.2024-शुक्रवार.
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