जय श्री शनि देव - 1

Started by Atul Kaviraje, November 09, 2024, 09:56:40 PM

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Atul Kaviraje

जय श्री शनि देव –

श्री शनि देव का परिचय:

श्री शनि देव हिंदू धर्म के नौ ग्रहों में से एक महत्वपूर्ण ग्रह माने जाते हैं। वे न्याय के देवता हैं और उनके बारे में यह मान्यता है कि वे कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। शनि देव का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है, और शनि के प्रसन्न होने पर व्यक्ति को जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति मिलती है। वहीं, शनि के प्रतिकूल प्रभाव के कारण व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

शनि देव के बारे में कहा जाता है कि वे अपने भक्तों को उनकी कर्मों के अनुसार न्याय देते हैं, और इसलिए उन्हें "न्याय के देवता" भी कहा जाता है। शनि देव का मुख्य कार्य होता है व्यक्तियों के कर्मों का हिसाब लेना और उन्हीं के अनुसार उन्हें फल देना।

श्री शनि देव का रूप और प्रतीक:

शनि देव का रूप एक गहरे नीले रंग के व्यक्ति के रूप में दिखाया जाता है। उनका चेहरा गंभीर और कड़ा होता है, जो उनके न्यायप्रिय स्वभाव को दर्शाता है। वे एक हाथ में गदा और दूसरे हाथ में एक काले रंग का पात्र पकड़े हुए होते हैं, जिसमें तेल या लोहा भरकर रखा जाता है। उनकी सवारी काला कौआ या गधे के रूप में मानी जाती है।

शनि देव की पूजा के दौरान खास ध्यान रखा जाता है कि उनका रंग, उनका रूप और उनके प्रति सम्मान दिखाया जाए। शनि के प्रतीक के रूप में उनके चित्र में गहरे नीले या काले रंग का उपयोग किया जाता है, जो उनके प्रभाव और उनके ग्रह के काले रंग को दर्शाता है।

शनि देव का जन्म और कथा:

शनि देव का जन्म भगवान सूर्य और देवी छाया के पुत्र के रूप में हुआ था। छाया देवी सूर्य देव की पत्नी संज्ञा के शाप के कारण एक दूसरी पत्नी के रूप में उत्पन्न हुई थीं। शनिदेव का जन्म सूर्य देव से हुआ था, लेकिन उन्हें हमेशा ही सूर्य देव से उपेक्षा का सामना करना पड़ा, क्योंकि सूर्य देव ने उन्हें उचित मान्यता नहीं दी थी।

शनि देव के जन्म के समय ही एक भविष्यवाणी हुई थी कि शनिदेव का प्रभाव बहुत बड़ा होगा और उनके कर्मों के परिणाम अत्यंत कड़े होंगे। यही कारण है कि शनि देव का प्रभाव इस पृथ्वी पर किसी भी व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

शनि देव का कार्य और प्रभाव:

शनि देव को "कर्मफलदाता" भी कहा जाता है क्योंकि वे व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार उसे फल देते हैं। अगर कोई व्यक्ति अपनी जीवन में अच्छे कर्म करता है तो शनि देव उसे उसका उचित फल देते हैं, जबकि बुरे कर्म करने पर व्यक्ति को शनि देव कड़ी सजा भी दे सकते हैं। शनि के प्रकोप के समय व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है, जिसे शनि की "साढ़े साती" और "ढैया" कहा जाता है।

शनि की साढ़े साती और ढैया:

शनि की साढ़े साती: जब शनि देव किसी व्यक्ति की कुंडली में पहले, सातवें और दसवें घर से होकर गुजरते हैं, तो इसे साढ़े साती कहा जाता है। इस काल में व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह काल करीब सात साल का होता है और इसे बहुत कठिन समय माना जाता है।

शनि की ढैया: जब शनि देव किसी व्यक्ति की कुंडली में तीसरे, सातवें और ग्यारहवें घर से होकर गुजरते हैं, तो इसे ढैया कहा जाता है। ढैया भी शनि के कड़े प्रभाव को दर्शाता है, लेकिन यह साढ़े साती की तुलना में थोड़ा कम कष्टकारी होता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-09.11.2024-शनिवार.
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