जागतिक आरोग्य -1

Started by Atul Kaviraje, November 11, 2024, 09:54:21 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

जागतिक आरोग्य -

परिचय:

"आरोग्य" एक ऐसा शब्द है जिसका अर्थ सिर्फ शारीरिक स्वस्थता से नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक भलाई से भी है। जब हम "जागतिक आरोग्य" की बात करते हैं, तो इसका उद्देश्य दुनिया भर में हर व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक दृष्टि से स्वास्थ्यपूर्ण जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, "स्वास्थ्य का मतलब सिर्फ रोग या अपंगता का न होना है, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक भलाई की स्थिति है।"

आज के दौर में, जब हर व्यक्ति के स्वास्थ्य पर कई प्रकार के संकट मंडरा रहे हैं, तब वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस लेख में हम "जागतिक आरोग्य" के महत्व, चुनौतियों और इसके लिए उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

1. जागतिक आरोग्य का महत्व:
जागतिक आरोग्य का महत्व न केवल व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन से जुड़ा है, बल्कि यह समग्र समाज, अर्थव्यवस्था और विकास से भी जुड़ा हुआ है। एक स्वस्थ व्यक्ति न केवल अपने जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करता है, बल्कि वह समाज में सक्रिय रूप से योगदान भी करता है। स्वास्थ्य की समस्या सीधे-सीधे किसी भी राष्ट्र के विकास पर प्रभाव डालती है, क्योंकि यदि कोई राष्ट्र स्वस्थ नहीं है तो वह राष्ट्र अपनी अर्थव्यवस्था, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति नहीं कर सकता।

उदाहरण: सिंगापुर, जपान और स्विट्जरलैंड जैसे देशों ने अपने नागरिकों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया है, जिसके परिणामस्वरूप इन देशों की जीवन गुणवत्ता और सामाजिक भलाई में भारी सुधार हुआ है। इन देशों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं और सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल के कारण जीवन प्रत्याशा (life expectancy) में वृद्धि हुई है।

2. जागतिक आरोग्य की परिभाषा:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, "स्वास्थ्य सिर्फ रोग और अपंगता का न होना, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक भलाई की स्थिति है।" इसके अनुसार, किसी भी व्यक्ति का स्वास्थ्य केवल शारीरिक स्वास्थ्य से ज्यादा महत्वपूर्ण है; मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।

उदाहरण: मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं जैसे अवसाद, तनाव, और चिंता, शारीरिक बीमारियों से कम गंभीर नहीं होतीं। WHO द्वारा जारी रिपोर्ट्स में यह स्पष्ट किया गया है कि मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने से समग्र स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। भारत जैसे देशों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को अब अधिक गंभीरता से लिया जा रहा है, और इसके लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।

3. जागतिक आरोग्य के लिए प्रमुख चुनौतियाँ:
1. संक्रमणकारी रोग (Infectious Diseases):
विश्व भर में संक्रमणकारी रोगों की समस्या अभी भी एक बड़ी चुनौती है। हाल के वर्षों में कोरोना महामारी (COVID-19) ने यह साबित कर दिया कि संक्रमण कितना तेजी से फैल सकता है और इसके वैश्विक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। इसके अलावा, मलेरिया, तपेदिक (टीबी), पोलियो और HIV/AIDS जैसी बीमारियाँ अभी भी पूरी दुनिया में मौजूद हैं।

उदाहरण: COVID-19 महामारी ने दुनियाभर में लाखों लोगों की जान ले ली और स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव डाला। इसके नियंत्रण के लिए वैश्विक स्तर पर लॉकडाउन, टीकाकरण और अन्य उपायों को लागू किया गया।

2. गैर-संक्रमणकारी रोग (Non-Communicable Diseases - NCDs):
इन बीमारियों में हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं। ये बीमारियां अधिकतर जीवनशैली से जुड़ी होती हैं और इनका प्रभाव दुनिया भर में बढ़ रहा है। खानपान की आदतें, शारीरिक गतिविधि की कमी, तनाव और धूम्रपान जैसी आदतें इन बीमारियों के बढ़ने के प्रमुख कारण हैं।

उदाहरण: भारत में मधुमेह और हृदय रोग जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, खासकर शहरी इलाकों में। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, गैर-संक्रमणकारी रोगों के कारण हर साल करोड़ों मौतें होती हैं।

3. कुपोषण और स्वच्छ जल की कमी:
कुपोषण और अस्वच्छ जल और शौचालय की कमी से भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। विशेष रूप से विकासशील देशों में यह समस्या गंभीर है। कुपोषण बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करता है, जबकि स्वच्छ जल की कमी से संक्रामक रोग फैल सकते हैं।

उदाहरण: भारत, अफ्रीका और अन्य विकासशील देशों में कुपोषण की दर काफी अधिक है, खासकर बच्चों में। कुपोषण के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है और वे जीवन भर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-11.11.2024-सोमवार.
===========================================