तुलसी विवाहारंभ

Started by Atul Kaviraje, November 13, 2024, 05:42:11 PM

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Atul Kaviraje

तुलसी विवाहारंभ –

परिचय: तुलसी विवाह, जिसे तुलसी की शादी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है। यह विशेष रूप से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है, जो गोवर्धन पूजा और दीवाली के आसपास आता है। इस दिन तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है और उसे भगवान श्री विष्णु से जोड़ा जाता है, जैसे उनका विवाह हो रहा हो। तुलसी विवाह का आयोजन घरों में, मंदिरों में और विभिन्न सामाजिक आयोजनों में बड़े धूमधाम से किया जाता है।

तुलसी विवाह की कथा: तुलसी विवाह का संबंध एक प्रसिद्ध कथा से है, जो हिंदू धर्म के पुराणों में वर्णित है। यह कथा भगवान श्री विष्णु और तुलसी के विवाह से जुड़ी हुई है।

कहा जाता है कि तुलसी, जो एक पुण्यात्मा कन्या थीं, का विवाह राक्षसों के राजा शंकरासुर से हुआ था। शंकरासुर ने तुलसी को भगवान श्री विष्णु के समकक्ष पाया और उसे विष्णु से विवाह करने के लिए शापित किया। तुलसी ने विष्णु को भगवान के रूप में स्वीकार किया, लेकिन उनके द्वारा दिए गए शाप के कारण, भगवान विष्णु ने तुलसी के रूप में पृथ्वी पर एक पौधे के रूप में जन्म लिया। यह पौधा आज भी घरों और मंदिरों में पूजा जाता है।

तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व:

तुलसी की पूजा: तुलसी को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। इसे 'व्रिंदावनी' भी कहा जाता है और यह भगवान विष्णु की प्रिय है। घर में तुलसी का पौधा रखना और उसकी पूजा करना शुभ माना जाता है।

विष्णु पूजा: तुलसी विवाह के अवसर पर भगवान श्री विष्णु की पूजा का महत्व है। इस दिन विष्णु भगवान के साथ तुलसी के विवाह का आयोजन किया जाता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है।

परिवार की सुख-समृद्धि: तुलसी विवाह को एक पवित्र और शुभ दिन माना जाता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे परिवार की सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य और शांति की प्राप्ति होती है।

तुलसी विवाह की पूजा विधि:

तुलसी विवाह का आयोजन विशेष रूप से कार्तिक मास में किया जाता है। इसकी पूजा विधि निम्नलिखित है:

घर की सफाई और शुद्धता: तुलसी विवाह के दिन घर को पूरी तरह से साफ किया जाता है और शुद्धता का ध्यान रखा जाता है। यह धार्मिक आस्था का हिस्सा होता है।

तुलसी की पूजा: सबसे पहले, तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है। इसे गंगाजल से धोकर शुद्ध किया जाता है और फिर इसे दीपक, अगरबत्ती, फूल, चंदन, कुमकुम और रुद्राक्ष से सजाया जाता है। तुलसी के पौधे को श्री विष्णु का रूप माना जाता है, इसलिए इसे साक्षात भगवान के रूप में पूजा जाता है।

भगवान श्री विष्णु की पूजा: तुलसी विवाह के दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा की जाती है। विष्णु भगवान के चित्र या मूर्ति के सामने दीप जलाए जाते हैं और उनके मंत्रों का जाप किया जाता है। खासतौर पर "ॐ श्री विष्णवे नम:" या "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का उच्चारण किया जाता है।

विवाह संस्कार: तुलसी के पौधे को भगवान विष्णु से विवाह के लिए सजाया जाता है। इस दौरान पूजा की जाती है जैसे एक सामान्य विवाह में होती है। तुलसी के पौधे को वर और बधू के रूप में सजाया जाता है, और इस तरह यह पूजा एक प्रतीकात्मक विवाह का रूप लेती है।

प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है। इस प्रसाद में तुलसी के पत्ते, फल, मिठाई आदि होते हैं। इस प्रसाद को घर के सभी सदस्यों और उपस्थित भक्तों में वितरित किया जाता है।

तुलसी विवाह के लाभ:

सुख-समृद्धि की प्राप्ति: तुलसी विवाह करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। यह पूजा घर के वास्तु दोष को भी दूर करने में मदद करती है और वातावरण को शुद्ध करती है।

धन-संपत्ति का वर्धन: तुलसी की पूजा करने से घर में धन की वृद्धि होती है और पारिवारिक जीवन में खुशहाली आती है।

मानसिक शांति: तुलसी विवाह से मानसिक शांति मिलती है। इस दिन का व्रत और पूजा जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।

विवाह में बाधाओं का निवारण: तुलसी विवाह का आयोजन उन घरों में भी किया जाता है जहां विवाह में कोई अड़चनें आ रही होती हैं। इस दिन की पूजा से विवाह में आ रही समस्याओं का समाधान हो सकता है।

तुलसी विवाह के समय का महत्व:

तुलसी विवाह का सबसे उपयुक्त समय कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को होता है।
यह दिन विशेष रूप से गोवर्धन पूजा के दिन मनाया जाता है, और इसी दिन लोग अपने घरों में तुलसी की पूजा करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
उदाहरण:

कई हिंदू परिवारों में तुलसी विवाह को पारंपरिक रूप से मनाया जाता है। उदाहरण के तौर पर, श्रीवास्तव परिवार ने अपने घर में तुलसी विवाह का आयोजन किया। उन्होंने घर के आंगन में तुलसी का पौधा सजाया, भगवान विष्णु की मूर्ति रखी और पूरे परिवार ने मिलकर पूजा की। इस दिन घर के प्रत्येक सदस्य ने अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली की कामना की। उनके परिवार में एकता, प्रेम और समृद्धि बढ़ी, और विवाह संबंधी समस्याएं भी हल हो गईं।

निष्कर्ष:

तुलसी विवाह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक सामाजिक और पारिवारिक उत्सव भी है। इस दिन की पूजा से न केवल घर में शांति और समृद्धि आती है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। तुलसी विवाह का आयोजन हमें अपने धार्मिक आस्थाओं के साथ-साथ पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियों को भी निभाने की प्रेरणा देता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-13.11.2024-बुधवार.
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