बालदिवस:-1

Started by Atul Kaviraje, November 14, 2024, 05:15:51 PM

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Atul Kaviraje

बालदिवस:  लेख-

बालदिवस 14 नवंबर को मनाया जाता है, जो भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती है। पं. नेहरू को बच्चों के प्रति विशेष प्रेम और स्नेह था, और उन्होंने अपने जीवन के कई वर्षों में बच्चों के कल्याण और शिक्षा के लिए कार्य किया। इस कारण से, उनकी जयंती, 14 नवंबर को बालदिवस के रूप में मनाई जाती है। यह दिन बच्चों के अधिकारों, उनकी भलाई, और उनके विकास की दिशा में किए गए कार्यों को सम्मानित करने के लिए समर्पित है।

पंडित नेहरू का बच्चों के प्रति स्नेह
पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चों के प्रति बहुत गहरी श्रद्धा थी। उनका मानना था कि बच्चों के जीवन में शिक्षा, प्यार और देखभाल का बहुत महत्व होता है। उनके अनुसार, बच्चों को सिर्फ पढ़ाई-लिखाई ही नहीं, बल्कि उनके व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के लिए एक स्वस्थ वातावरण की आवश्यकता होती है। वे बच्चों के अच्छे शारीरिक और मानसिक विकास के लिए प्रतिबद्ध थे और उनका मानना था कि यही देश के भविष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।

नेहरू जी का यह भी मानना था कि बच्चों को स्वतंत्र रूप से अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार होना चाहिए और उन्हें एक सशक्त, समझदार और संवेदनशील नागरिक बनने के लिए उचित दिशा मिलनी चाहिए। उनके इस दृष्टिकोण को भारतीय राजनीति और समाज में खासा महत्व मिला। उन्होंने बच्चों के लिए कई योजनाएं बनाई और उनके कल्याण के लिए कई कदम उठाए।

बालदिवस की महत्ता
बालदिवस बच्चों के अधिकारों और उनकी भलाई के प्रति जागरूकता फैलाने का दिन है। यह दिन बच्चों के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है कि हम समाज में बच्चों को उनकी जरूरतों के प्रति जागरूक करें, और यह सुनिश्चित करें कि वे खुशहाल और सुरक्षित वातावरण में पले-बढ़ें।

बच्चों के अधिकार: बालदिवस पर बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसमें बच्चों को उनके अधिकारों, जैसे शिक्षा का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, खेलने का अधिकार, आदि के बारे में बताया जाता है।

शिक्षा का महत्व: बालदिवस का एक और प्रमुख उद्देश्य बच्चों को शिक्षा के महत्व के बारे में बताना है। पं. नेहरू का मानना था कि एक विकसित और समृद्ध समाज का निर्माण केवल शिक्षा के माध्यम से ही किया जा सकता है, और इसके लिए हर बच्चे को शिक्षा का अवसर मिलना चाहिए।

सामाजिक समरसता: बालदिवस पर यह भी संदेश दिया जाता है कि बच्चों को जाति, धर्म, लिंग या सामाजिक स्थिति से परे एक समान अवसर मिलने चाहिए। पं. नेहरू का दृष्टिकोण था कि बच्चों को एक ऐसा समाज और वातावरण मिलना चाहिए जहां वे बिना किसी भेदभाव के बढ़ सकें।

पं. नेहरू का बालकों के लिए कार्य
पं. जवाहरलाल नेहरू ने बच्चों के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हर बच्चे को शिक्षा का समान अवसर मिले, और उनका मानसिक और शारीरिक विकास सही दिशा में हो। उनके द्वारा उठाए गए कुछ प्रमुख कदमों में शामिल हैं:

शिक्षा सुधार: पं. नेहरू ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई सुधार किए। उन्होंने बच्चों के लिए शिक्षा को सुलभ और बेहतर बनाने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की। इसके अलावा, उन्होंने विज्ञान और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दिया ताकि बच्चे आधुनिक दुनिया से तालमेल बैठा सकें।

बालक विद्यालयों की स्थापना: पं. नेहरू ने कई बाल विद्यालयों और संस्थाओं की स्थापना की, जैसे नेहरू शिक्षा परिषद, ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। इसके अलावा, उन्होंने कई सरकारी योजनाओं के तहत बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने की दिशा में कदम उठाए।

राष्ट्रीय बाल कल्याण परिषद: पं. नेहरू ने बालकों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय बाल कल्याण परिषद की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण के क्षेत्र में काम करना था।

बालकों के अधिकार: पं. नेहरू ने हमेशा बच्चों के अधिकारों की बात की। उनका मानना था कि बच्चों को स्वस्थ और सुखी जीवन जीने का अधिकार है। वे हमेशा यह चाहते थे कि बच्चे मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ रहें।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-14.11.2024-गुरुवार.
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