कायमची बदलती परंपरा:-1

Started by Atul Kaviraje, November 14, 2024, 06:05:45 PM

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Atul Kaviraje

कायमची बदलती परंपरा:-

परंपरा एक ऐसी सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक धारा है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती है। यह किसी समाज की मूल पहचान होती है और इसके आधार पर समाज के रीति-रिवाज, संस्कृति, व्यवहार और आस्थाएँ निर्धारित होती हैं। समय के साथ परंपराओं में बदलाव आना स्वाभाविक है। बदलते हुए समाज, अर्थव्यवस्था, और विचारधाराओं के प्रभाव से परंपराएँ विकसित होती हैं, कुछ पुराने रिवाजों को बदलना पड़ता है, और कुछ नए रिवाजों का जन्म होता है।

कायमची बदलती परंपरा एक ऐसे विचार को व्यक्त करती है जो बताता है कि परंपरा को सहेजते हुए समय के साथ उसमें सुधार और परिवर्तन की आवश्यकता होती है। यह लेख परंपरा में बदलाव की आवश्यकता, कारणों, और इसके उदाहरणों पर प्रकाश डालेगा।

परंपरा का महत्व
परंपरा किसी भी समाज की पहचान होती है। यह समाज के जीवन के विभिन्न पहलुओं को जोड़ने का कार्य करती है। धार्मिक परंपराएँ, सांस्कृतिक रिवाज, और सामाजिक मान्यताएँ सभी परंपरा के अंग होते हैं। परंपरा का महत्व इसलिए है कि यह एक समाज को एकजुट रखती है और उसमें सांस्कृतिक पहचान, समृद्धि और नैतिक मूल्यों की स्थापना करती है। परंतु, जैसे-जैसे समाज में परिवर्तन आते हैं, वैसे-वैसे परंपरा में भी बदलाव की आवश्यकता होती है।

परंपरा में बदलाव क्यों जरूरी है?
समाज के बदलाव के कारण:
समाज में निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं। तकनीकी विकास, शहरीकरण, शिक्षा का स्तर, और वैश्विक विचारधाराएँ परंपराओं को प्रभावित करती हैं। जब समाज में बदलाव आता है, तो परंपरा को भी बदलने की आवश्यकता होती है ताकि यह समाज के नए मूल्यों और विचारों के साथ सामंजस्य स्थापित कर सके।

प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण:
कई परंपराएँ पहले बिना पर्यावरण के प्रभाव को समझे लागू की जाती थीं। अब समाज में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ी है, जैसे दिवाली में पटाखों का कम प्रयोग, या छठ पूजा में नदी के किनारे सफाई रखना। इन बदलावों से परंपराओं को पर्यावरण के अनुकूल बनाया गया है।

भेदभाव और असमानता को समाप्त करने के लिए:
प्रारंभिक परंपराएँ कई बार सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा देती थीं, जैसे जातिवाद, लिंगभेद आदि। समय के साथ समाज में समानता की अवधारणा बढ़ी है, और अब इन परंपराओं में बदलाव की आवश्यकता है ताकि समाज में समानता और न्याय स्थापित हो सके।

आधुनिकता और विज्ञान का प्रभाव:
आजकल विज्ञान और तकनीकी नवाचारों का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इस प्रभाव के कारण कई परंपराएँ, जो पहले समाज के लिए जरूरी मानी जाती थीं, अब समय के साथ अप्रचलित हो रही हैं। उदाहरण के लिए, अब डिजिटल पूजा, ऑनलाइन हवन, और वीडियो कॉलिंग के माध्यम से धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-14.11.2024-गुरुवार.
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