कार्तिक पूर्णिमा: महत्व, इतिहास और पूजा विधि-2

Started by Atul Kaviraje, November 15, 2024, 07:04:23 PM

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Atul Kaviraje

कार्तिक पूर्णिमा: महत्व, इतिहास और पूजा विधि (Kartik Purnima: Significance, History, and Rituals)-

कार्तिक पूर्णिमा की पूजा विधि (Rituals of Kartik Purnima)
1. सूर्योदय से पूर्व स्नान और पूजा
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व उबटन और स्नान की परंपरा है। विशेष रूप से गंगा, यमुनाजी या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है। इसके बाद घर में दीपक जलाकर भगवान शिव, विष्णु और अन्य देवताओं की पूजा करनी चाहिए।

2. दीपदान और दीपों की पूजा
कार्तिक पूर्णिमा का दिन दीपों से सजाने का दिन होता है। इस दिन विशेष रूप से दीप जलाने की परंपरा है। घर के प्रत्येक स्थान पर दीपक रखें और उन दीपों से घर के वातावरण को शुद्ध करें। यह दीपक नकारात्मकता को समाप्त करके सकारात्मकता और शांति का संचार करते हैं।

3. भगवान शिव और विष्णु की पूजा
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। विशेष रूप से शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए और ॐ नमः शिवाय और ॐ श्री विष्णवे नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन शिव तंत्र, विष्णु तंत्र, और वामन अष्टकश्यप का पाठ भी किया जाता है।

4. व्रत और तपस्या
कार्तिक पूर्णिमा को उपवास रखने का भी विशेष महत्व है। इस दिन उपवास रखने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से नदी स्नान, दान, और तपस्या करने से विशेष फल मिलता है।

5. दान और पुण्य कार्य
कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान का अत्यधिक महत्व है। इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को स्नान सामग्री, वस्त्र, फल, पानी और अन्य उपहार देने से पुण्य प्राप्त होता है।

6. तंत्र-मंत्र और साधना
इस दिन विशेष रूप से तंत्र-मंत्र साधना करने का भी महत्व है। साधक इस दिन विशेष रूप से अपने ग्रहों और तंत्र-मंत्र का उच्चारण करके अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए साधना करते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा और उसकी सांस्कृतिक परंपराएँ (Cultural Traditions of Kartik Purnima)
कार्तिक पूर्णिमा का दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी इस दिन का विशेष स्थान है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इस दिन को अलग-अलग तरीके से मनाने की परंपरा है।

1. गोवर्धन पूजा
उत्तर भारत में विशेष रूप से गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन को गोवर्धन दिवस भी कहा जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है और गोवर्धन पर्वत का प्रतीक स्वरूप पूजा की जाती है।

2. माछींद्रनाथ व्रत
वहीं, कुछ स्थानों पर माछींद्रनाथ व्रत भी इस दिन मनाया जाता है, जिसमें विशेष रूप से जलवर्धन के उपायों और पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रार्थना की जाती है।

निष्कर्ष (Conclusion)
कार्तिक पूर्णिमा का पर्व न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन गंगा स्नान, भगवान शिव और विष्णु की पूजा, दीपदान, दान और तपस्या करने से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि हमें अपने कर्मों का फल प्राप्त करने के लिए सत्य, न्याय और तपस्या का मार्ग अपनाना चाहिए।

जय श्री शिव और जय श्री विष्णु! 🙏

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-15.11.2024-शुक्रवार.
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