श्री विष्णु की उत्पत्ति तथा ब्रह्मा, शिव से संबंध-

Started by Atul Kaviraje, November 27, 2024, 05:42:18 PM

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Atul Kaviraje

श्री विष्णु की उत्पत्ति तथा ब्रह्मा, शिव से संबंध-
(भगवान विष्णु की उत्पत्ति और उनका ब्रह्मा और शिव के साथ संबंध)

भगवान विष्णु हिंदू धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं, और उनका कार्य सृष्टि का पालन करना, रक्षण करना और उसका संतुलन बनाए रखना है। विष्णु की उत्पत्ति और उनका ब्रह्मा और शिव से संबंध समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये तीनों देवता मिलकर संसार के चक्र को चलाते हैं। भगवान विष्णु का जन्म और उनके कार्य का संबंध ब्रह्मा और शिव के कार्यों के साथ तादात्म्य में है।

1. भगवान विष्णु की उत्पत्ति:
भगवान विष्णु की उत्पत्ति के बारे में अनेक पुराणों और ग्रंथों में चर्चा की गई है। हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान विष्णु अनादि और निराकार हैं। उनका कोई जन्म या अंत नहीं है, वे साक्षात ब्रह्मा (सर्वव्यापी परमात्मा) के रूप में कार्य करते हैं। वे सृष्टि के पालनहार हैं, जिनका कार्य संपूर्ण सृष्टि का संरक्षण करना है। भगवान विष्णु का अस्तित्व परम सत्य और अनंत है।

विष्णु का महत्त्व:
भगवान विष्णु सृष्टि के रक्षक, पालनहार और पातक नाशक के रूप में पूजे जाते हैं। उनका कार्य संसार में संतुलन बनाए रखना है, ताकि सृष्टि का नाश न हो और लोगों की भलाई होती रहे। भगवान विष्णु के अवतारों को हम विभिन्न कथाओं और पुराणों में पाते हैं, जैसे उनके दस अवतार (दशावतार) जिनमें प्रमुख हैं: श्रीराम, श्रीकृष्ण, वामन, नरसिंह आदि।

विष्णु के अवतारों का उद्देश्य धरती पर धर्म की पुनर्स्थापना करना और असुरों तथा राक्षसों का संहार करना था। इस प्रकार भगवान विष्णु का जन्म और उनकी उत्पत्ति एक महान उद्देश्य को लेकर होती है।

2. ब्रह्मा, विष्णु और शिव के संबंध:
भगवान विष्णु के संबंध में ब्रह्मा और शिव के साथ एक अद्वितीय और गहरे संबंध हैं। ये तीन देवता त्रिदेव के रूप में जाने जाते हैं और प्रत्येक का कार्य पृथ्वी और ब्रह्मांड के चक्र को चलाने में अहम भूमिका निभाता है।

ब्रह्मा और विष्णु का संबंध:
ब्रह्मा, भगवान विष्णु के सहायक के रूप में कार्य करते हैं। ब्रह्मा को सृष्टि के निर्माता के रूप में माना जाता है। वे सृष्टि का निर्माण करते हैं, लेकिन उनका काम केवल निर्माण तक सीमित नहीं है। भगवान विष्णु ब्रह्मा की मदद से उस सृष्टि का पालन करते हैं, ताकि वह समृद्ध और संतुलित बनी रहे। ब्रह्मा द्वारा बनाए गए संसार का रक्षण भगवान विष्णु करते हैं।

उदाहरण के तौर पर, ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया, मगर इसके पालन की जिम्मेदारी भगवान विष्णु की है। वे ही सृष्टि के विकास और संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाते हैं। अतः ब्रह्मा और विष्णु का संबंध निर्माण और पालन की प्रक्रिया में सामंजस्यपूर्ण है।

शिव और विष्णु का संबंध:
भगवान शिव और भगवान विष्णु का संबंध भी उतना ही गहरा और शक्तिशाली है। शिव को सृष्टि के संहारक के रूप में पूजा जाता है, जबकि विष्णु को रक्षक के रूप में। दोनों के कार्य एक दूसरे के पूरक हैं। जहाँ भगवान शिव सृष्टि का संहार करते हैं, वहीं भगवान विष्णु उस संहार के बाद पुनः सृष्टि के पुनर्निर्माण और संतुलन को बनाए रखते हैं।

शिव का कार्य संहारक रूप में दिखाया गया है, लेकिन उनके संहार से ही नये जीवन का जन्म होता है। विष्णु के लिए, शिव का संहार एक आवश्यक प्रक्रिया है, क्योंकि बिना संहार के पुनर्निर्माण संभव नहीं होता। इस प्रकार शिव और विष्णु का संबंध सृष्टि के चक्र को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

एक प्रसिद्ध उदाहरण "भगवान शिव का श्री विष्णु के साथ संबंध" हम "शिव-पार्वती का विवाह" और "महाभारत" में पाए जाते हैं, जहाँ दोनों देवताओं के बीच सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

3. त्रिदेव और उनका सहयोग:
ब्रह्मा, विष्णु और शिव का कार्य त्रैतीयक भूमिका में है:

ब्रह्मा – सृष्टि का निर्माण करते हैं।
विष्णु – सृष्टि का पालन करते हैं।
शिव – सृष्टि का संहार करते हैं।
इन तीनों देवताओं का कार्य एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। ब्रह्मा सृष्टि का निर्माण करते हैं, विष्णु उसका पालन करते हैं और शिव उसका संहार करते हैं। इन तीनों के कार्यों से सृष्टि का चक्र चलता रहता है। जब कोई युग समाप्त होता है, तो शिव का संहार कार्य शुरू होता है, और फिर विष्णु उस सृष्टि के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में सहयोग करते हैं।

भगवान विष्णु का कार्य मुख्य रूप से पालन करना है, जिससे संसार में संतुलन बना रहे और जीवों की भलाई हो। भगवान विष्णु के अवतार इस दुनिया में धर्म की पुनर्स्थापना के लिए होते हैं, जैसे श्रीराम और श्रीकृष्ण का अवतार।

4. निष्कर्ष:
भगवान विष्णु की उत्पत्ति एक दिव्य और अनंत सत्य के रूप में होती है, जो सृष्टि के रक्षण और धर्म की रक्षा करते हैं। उनका ब्रह्मा और शिव के साथ गहरा संबंध है। ब्रह्मा सृष्टि के निर्माता हैं, विष्णु रक्षक हैं, और शिव संहारक हैं। इन तीनों देवताओं का कार्य आपस में परस्पर जुड़ा हुआ है और यही सृष्टि के चक्र को संतुलित बनाए रखता है। भगवान विष्णु के बिना यह चक्र अधूरा होता, और इसी कारण विष्णु को सृष्टि का पालनहार माना जाता है।

जय श्री विष्णु!

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-27.11.2024-बुधवार.
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