कृषि में नवाचार और उनका भविष्य – विस्तृत विवेचन-

Started by Atul Kaviraje, November 30, 2024, 05:02:54 PM

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Atul Kaviraje

कृषि में नवाचार और उनका भविष्य – विस्तृत विवेचन-

कृषि, भारत की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है और लगभग 60 प्रतिशत से अधिक भारतीयों की आजीविका का स्रोत भी है। हालांकि, कृषि क्षेत्र को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि कम पैदावार, संसाधनों की कमी, जलवायु परिवर्तन, और पुरानी तकनीकों के कारण उत्पादन लागत का बढ़ना। इन समस्याओं से निपटने और कृषि क्षेत्र को अधिक प्रभावी और स्थिर बनाने के लिए नवाचार और आधुनिक तकनीकी समाधानों का उपयोग अत्यंत आवश्यक हो गया है। कृषि में नवाचार का उद्देश्य खेती की उत्पादन क्षमता बढ़ाना, लागत घटाना और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है।

कृषि में नवाचार का महत्व
उत्पादन में वृद्धि:
नवाचारों के माध्यम से उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ किसानों की आय में भी वृद्धि की जा सकती है। नए तकनीकी उपायों को अपनाकर ज्यादा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, जिससे कृषि क्षेत्र की उत्पादकता में सुधार होगा और खाद्यान्न संकट पर काबू पाया जा सकेगा।

संसाधनों का प्रभावी उपयोग:
कृषि में नवाचार से जल, खाद, और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का अधिक प्रभावी तरीके से उपयोग किया जा सकता है। इससे पर्यावरणीय नुकसान को कम किया जा सकता है और प्राकृतिक संसाधनों की बचत भी हो सकती है।

जलवायु परिवर्तन से निपटना:
जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि क्षेत्र को अत्यधिक नुकसान हो रहा है। नवाचारों का उद्देश्य उन पर्यावरणीय समस्याओं से निपटना है, जैसे अत्यधिक तापमान, सूखा और बाढ़, जो कृषि उत्पादकता को प्रभावित करते हैं।

स्मार्ट और सस्टेनेबल एग्रीकल्चर:
नवाचारों के माध्यम से कृषि क्षेत्र को स्मार्ट और सस्टेनेबल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। इसमें स्मार्ट एग्रीकल्चर तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे खेती अधिक इको-फ्रेंडली और टिकाऊ हो सके।

कृषि में नवाचार के उदाहरण
स्मार्ट कृषि (Smart Agriculture): स्मार्ट कृषि का मतलब है किसानों को तकनीकी समाधानों द्वारा उनकी खेती के कार्यों को अधिक प्रभावी तरीके से चलाने में मदद करना। इसमें सेंसर्स, ड्रोन, और इंटेलिजेंट डेटा सिस्टम का उपयोग किया जाता है, जो किसानों को पत्तियों की स्थिति, मिट्टी की नमी, कीटों की पहचान और जलवायु की जानकारी प्रदान करते हैं।
उदाहरण:
ई-चौपाल जैसे प्लेटफार्म ने किसानों को ऑनलाइन जानकारी और मार्गदर्शन प्रदान किया है, जिससे वे कृषि निर्णयों में सुधार कर सके हैं। इसके अलावा, प्रिसिशन एग्रीकल्चर तकनीकों का उपयोग कर किसानों को अधिक सटीकता से पद्धतियाँ अपनाने में मदद मिल रही है।

ड्रोन का उपयोग:
ड्रोन का उपयोग अब कृषि में न केवल खेतों का निरीक्षण करने के लिए किया जा रहा है, बल्कि इसे पत्तियों पर कीटनाशक और उर्वरक स्प्रे करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है। ड्रोन के जरिए कीटनाशक और उर्वरक का सही मात्रा में छिड़काव किसानों को अधिक उत्पादन और कम लागत में मदद करता है। उदाहरण:
AeroFarms और AgriDrone जैसी कंपनियां ड्रोन का उपयोग कर कृषि क्षेत्र में नवाचार लाने का काम कर रही हैं।

जैविक और सस्टेनेबल खेती (Organic and Sustainable Farming):
जैविक खेती में रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग कम किया जाता है, जिससे भूमि और पर्यावरण पर कम दबाव पड़ता है। इसके लिए प्राकृतिक उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है।
उदाहरण:
सेंद्रिय खेती का प्रयोग बढ़ाने के लिए कई सरकारी और निजी क्षेत्र की योजनाएँ शुरू की गई हैं, जिनमें किसान जैविक उत्पादों को बेहतर मूल्य पर बेच सकते हैं।

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कृषि विज्ञान:
जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि में बाढ़, सूखा, और असामान्य मौसम घटनाएँ बढ़ गई हैं। ऐसे में नए कृषि वैज्ञानिक उपायों का इस्तेमाल हो रहा है, जैसे कि सूखा सहिष्णु और बाढ़ सहिष्णु फसलों का विकास।
उदाहरण:
इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRRI) ने सूखा सहिष्णु धान की किस्में विकसित की हैं, जो जलवायु परिवर्तन के बावजूद बेहतर उत्पादन देती हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-30.11.2024-शनिवार.
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