भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर महापरिनिर्वाण दिवस-

Started by Atul Kaviraje, December 06, 2024, 08:57:53 PM

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Atul Kaviraje

भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर महापरिनिर्वाण दिवस-

6 दिसंबर, 1956 को भारतीय समाज के महान नेता, समाज सुधारक, भारतीय संविधान के निर्माता और दलितों के मसीहा डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का महापरिनिर्वाण हुआ था। इस दिन को हम "महापरिनिर्वाण दिवस" के रूप में मनाते हैं, क्योंकि यही वह दिन था जब डॉ. अंबेडकर ने इस दुनिया को अलविदा लिया और उनके योगदान को भारतीय समाज सदैव याद रखेगा। उनके जीवन कार्य और उनके द्वारा किए गए सामाजिक सुधारों ने न केवल भारतीय समाज को दिशा दी, बल्कि समग्र दुनिया में समानता, स्वतंत्रता और न्याय के प्रति जागरूकता फैलाई।

डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का जीवन कार्य:

डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का जीवन अत्यधिक संघर्षमय और प्रेरणादायक था। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में एक गरीब और अछूत परिवार में हुआ था। जातिवाद और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करते हुए, उन्होंने अपनी शिक्षा को एक हथियार बनाया और भारतीय समाज की सामाजिक बुराइयों को उखाड़ फेंका।

शिक्षा और संघर्ष:

डॉ. अंबेडकर को अपनी शिक्षा के दौरान समाज में भेदभाव का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने इसका सामना किया और अपनी शिक्षा पूरी की। वे पहले भारतीय थे जिन्होंने इंग्लैंड में लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से कानून में पीएचडी की। इसके बाद, उन्होंने भारतीय समाज की सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को समझने के लिए भारत में कई यात्राएँ की। उन्होंने "जातिवाद" को समाप्त करने और दलित समाज को उनके अधिकार दिलवाने के लिए संघर्ष किया।

भारतीय संविधान का निर्माण:

डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार थे। भारतीय संविधान की रचना के समय, उनका योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण था। उन्होंने भारतीय समाज में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व का आदर्श प्रस्तुत किया। संविधान में विशेष रूप से दलितों, महिलाओं, आदिवासियों और अन्य वंचित वर्गों के अधिकारों की सुरक्षा की व्यवस्था की गई है, जो डॉ. अंबेडकर के प्रयासों का प्रतिफल था।

दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष:

डॉ. अंबेडकर ने अपने जीवन को दलित समाज के उत्थान और उनके अधिकारों की प्राप्ति के लिए समर्पित किया। वे चाहते थे कि हर व्यक्ति को समान अवसर मिलें, और समाज में किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो। उन्होंने "चवदार तालाब सत्याग्रह" (1927) और "महाड सत्याग्रह" (1930) जैसे आंदोलनों का नेतृत्व किया, जो दलितों के अधिकारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण थे। इन आंदोलनों ने समाज में जागरूकता पैदा की और दलितों के लिए कुछ स्थानों पर पानी पीने और मंदिरों में प्रवेश की स्वतंत्रता को सुनिश्चित किया।

बौद्ध धर्म की स्वीकृति:

डॉ. अंबेडकर ने 1956 में बौद्ध धर्म को अपनाया, ताकि भारतीय समाज में जातिवाद के खिलाफ संघर्ष को और मजबूत किया जा सके। उन्होंने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और उनके साथ मिलकर बौद्ध धर्म को भारतीय समाज में फैलाया। उनका मानना था कि जातिवाद और सामाजिक भेदभाव से मुक्ति पाने के लिए बौद्ध धर्म एक उपयुक्त मार्ग है।

महापरिनिर्वाण दिवस का महत्व:

6 दिसंबर, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन उनके योगदान और जीवन को सम्मानित करने का अवसर है। इस दिन को समाज में विशेष रूप से दलित समाज के लोग श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, और उनके विचारों और कार्यों को पुनः जीवित करते हैं। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हम सभी को समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए, और यह कि समाज में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए।

उदाहरण:

डॉ. अंबेडकर का जीवन हमें यह सिखाता है कि संघर्षों और कठिनाइयों के बावजूद अगर हम अपनी मेहनत और समर्पण से सही दिशा में काम करें, तो हम समाज में बदलाव ला सकते हैं। उनके द्वारा किए गए आंदोलन, जैसे चवदार तालाब सत्याग्रह, न केवल दलितों के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण थे, बल्कि उन्होंने समाज में समानता और न्याय के विचार को भी प्रोत्साहित किया। डॉ. अंबेडकर के योगदान से भारत में दलितों और पिछड़े वर्गों को अधिकार मिले, और समाज में उनका स्थान सुनिश्चित हुआ।

महापरिनिर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में विचार:

महापरिनिर्वाण दिवस हमें डॉ. अंबेडकर के विचारों और कार्यों का सम्मान करने का अवसर देता है। हम सभी को यह याद रखना चाहिए कि डॉ. अंबेडकर ने हमेशा समानता, स्वतंत्रता, और बंधुत्व का समर्थन किया। उनके अनुसार, समाज में किसी भी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करना चाहिए और सभी को समान अवसर देने चाहिए। आज भी उनकी शिक्षाएँ और उनके द्वारा किए गए कार्य हमारे समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं।

उनके जीवन से हमें यह सिखने को मिलता है कि हर व्यक्ति को अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करके अपने समाज के लिए योगदान देना चाहिए। उनका संदेश था कि "हमारे जीवन का उद्देश्य समाज के हर वर्ग को समान सम्मान और अधिकार देना है।"

निष्कर्ष:

डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का योगदान भारतीय समाज के हर वर्ग के लिए अनमोल है। उनके जीवन कार्य और संघर्ष ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी। महापरिनिर्वाण दिवस पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके विचारों और कार्यों को अपनाने का संकल्प लें, ताकि हम एक समतामूलक और न्यायपूर्ण समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकें। डॉ. अंबेडकर के बिना भारतीय समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है, और उनका योगदान हमेशा हमें प्रेरित करेगा।

जय भीम! जय भारत!

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-06.12.2024-शुक्रवार.
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