वसाहत का भारतीय समाज पर व्यापक प्रभाव-1

Started by Atul Kaviraje, December 07, 2024, 06:57:10 PM

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Atul Kaviraje

वसाहत का भारतीय समाज पर व्यापक प्रभाव-

वसाहतवाद, विशेषकर ब्रिटिश साम्राज्य का भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन, भारतीय समाज पर एक गहरे और दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ गया। यह प्रभाव केवल राजनीतिक और आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और मानसिक दृष्टिकोण से भी व्यापक था। भारतीय समाज को वसाहतवाद के दौरान अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, परंतु कुछ सकारात्मक बदलाव भी हुए। वसाहत का यह प्रभाव आज भी भारतीय समाज में देखा जा सकता है, जो इस उपमहाद्वीप के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक ढांचे को बदलकर रख दिया।

वसाहत का भारतीय समाज पर सकारात्मक प्रभाव:
1. शिक्षा प्रणाली का विकास:
ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत में आधुनिक शिक्षा प्रणाली की नींव रखी। भारतीय समाज में शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी कई सुधार हुए। ब्रिटिशों ने औपचारिक शिक्षा के लिए स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की और पश्चिमी विचारधारा को फैलाया। इसके परिणामस्वरूप भारतीय समाज में एक नया ज्ञान और जागरूकता का निर्माण हुआ, जो समाज के विभिन्न वर्गों को जागरूक और प्रेरित करने में सहायक हुआ।

उदाहरण:
कलकत्ता विश्वविद्यालय (1836), बंबई विश्वविद्यालय (1857) और मद्रास विश्वविद्यालय (1857) जैसी संस्थाओं की स्थापना की गई, जो भारतीय शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आईं। इंग्लिश माध्यम से शिक्षा को बढ़ावा मिला, और भारतीय समाज में एक नई सोच और मानसिकता का विकास हुआ।

2. पायाभूत संरचनाओं का निर्माण:
ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत में सड़कें, रेलमार्ग, बंदरगाह और टेलीग्राफ जैसी पायाभूत संरचनाओं का निर्माण किया, जिनका भारतीय समाज पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा। इन सुविधाओं ने भारत में व्यापार, संचार और यात्रा को सरल बनाया, जिससे भारत के विभिन्न हिस्सों के बीच एकता स्थापित हुई।

उदाहरण:
रेलवे नेटवर्क, जो आज भारत के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, ब्रिटिश शासन के दौरान स्थापित हुआ। यह परिवहन के लिए आवश्यक था, और इसने भारतीय समाज को आपस में जोड़ने का काम किया। यह आर्थिक गतिविधियों को तेज़ी से बढ़ाने का एक प्रमुख कारण बना।

3. न्यायिक और कानूनी प्रणाली का विकास:
ब्रिटिशों के आने के साथ भारतीय समाज में एक संगठित कानूनी व्यवस्था की शुरुआत हुई। भारतीय दंड संहिता (IPC), भारतीय साक्ष्य अधिनियम और अन्य कानूनी प्रावधानों का निर्माण हुआ, जो आज भी भारतीय न्यायपालिका का मूल आधार बने हुए हैं।

उदाहरण:
भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 में लागू हुआ, जिसे ब्रिटिश शासन ने तैयार किया। यह कानून आज भी भारतीय न्यायव्यवस्था का हिस्सा है और समाज में अपराधों के प्रति जागरूकता और नियमों की पालना को सुनिश्चित करता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-07.12.2024-शनिवार.
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