"शहर के क्षितिज पर चमकती धूप"

Started by Atul Kaviraje, December 08, 2024, 04:21:23 PM

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Atul Kaviraje

शुभ दोपहर, रविवार मुबारक हो

"शहर के क्षितिज पर चमकती धूप"

शहर के क्षितिज पर, हर दिन एक नई किरण,
चमकती धूप की रौशनी, छूने आई नयापन,
आकाश की हद तक फैलती रोशनी की लहर,
जैसे दिन की शुरुआत हो, एक अदृश्य संकल्प के साथ।

वह धूप जो आकाश से धरती तक चली आती है,
उधारी कर जीवन को नयापन और रोशनी देती है,
सभी की राहों पर, चाहे वे छोटे या बड़े हों,
इस धूप में बसी होती है, एक मुस्कान, एक विश्वास।

चमकती धूप शहर के आकाश में सोने जैसी,
इमारतों पर उसका स्वर्णिम रंग एक सुंदर कहानी कहता है,
हर खिड़की से वह झाँकती है, हर सड़क पर बिखरती है,
जैसे शहर के हर दिल में एक नया सपना पलता है।

वह रोशनी, जो बीती रात की चुप्प से निकल कर,
एक नए उजाले में हमें अपने रास्ते दिखाती है,
जैसे पूरी दुनिया को अपनी मर्जी से जगा देती हो,
और कोई भी अंधेरा, उसकी रौशनी से हार जाता हो।

सड़कें और गली मोहल्ले उसकी सोनेरी किरणों में नहाते,
आखिरकार, उन लहरों में हर भावना जाग जाती है,
प्यारे चेहरे जो मुस्कुराते हैं, और दूर कहीं पर,
एक नयी उम्मीद, एक नई सुबह की तलाश होती है।

धूप के इस सजीव रूप में, एक आभा बसती है,
हर एक पल, हर एक छाया, उसकी चुप्पियों में ढलती है,
शहर के लोग भी इसके रंग में रंग जाते हैं,
और हर सुबह इस उजाले में एक नया उत्साह बसा होता है।

इमारतों की खिड़कियाँ चमकती हैं, जैसे सोने के टुकड़े,
धूप का हर कण एक छोटी सी रोशनी में बदल जाता है,
गाड़ियों का शोर, और लोगों की दौड़-भाग,
सब कुछ उसके साथ मिलकर एक नृत्य सा महसूस होता है।

वह चमकती धूप, जो न केवल पृथ्वी को,
लेकिन हमारे दिलों को भी रोशन करती है,
वह शक्ति, जो हर ग़म को धुंधला कर देती है,
और नए दिनों के नए अवसरों के बारे में हमें बताती है।

शहर के क्षितिज पर चमकती धूप,
हमारी यात्रा के हर कदम को और मजबूत बनाती है,
यह मात्र सूरज की रौशनी नहीं,
बल्कि हर नई शुरुआत की एक मीठी घोषणा है।

     यह कविता शहर के क्षितिज पर चमकती धूप के माध्यम से जीवन के नये अवसरों, आशाओं और नयापन की ओर इशारा करती है। धूप की रौशनी न केवल शहर को बल्कि लोगों के दिलों को भी उजाला देती है, और उन्हें हर दिन के संघर्ष और संघर्ष से बाहर निकलने का साहस देती है।

--अतुल परब
--दिनांक-08.12.2024-रविवार.
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