शिव को अर्पित व्रत और पूजा विधि-2

Started by Atul Kaviraje, December 09, 2024, 05:13:17 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

शिव को अर्पित व्रत और पूजा विधि-
(व्रत और पूजा विधियों के माध्यम से शिव की उपासना)

4. रुद्राभिषेक
(Rudrabhishekam)
रुद्राभिषेक पूजा में भगवान शिव के रुद्र रूप की पूजा की जाती है। इस पूजा का विशेष उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना, पापों से मुक्ति प्राप्त करना और जीवन में सुख-शांति लाना होता है। रुद्राभिषेक में जल, दूध, घी, शहद और रुद्राक्ष से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। यह पूजा विशेष रूप से महाशिवरात्रि, श्रावण मास, या अन्य पवित्र अवसरों पर की जाती है।

विधि:

सबसे पहले रुद्राक्ष और अन्य पवित्र वस्त्रों से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है।
फिर विभिन्न मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजा की जाती है।
"ॐ नमो भगवते रुद्राय" मंत्र का उच्चारण किया जाता है।
रुद्राभिषेक का आयोजन शिवालय में विशेष रूप से होता है।
उदाहरण:
कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने राक्षसों का वध किया, तो वे रुद्र रूप में प्रकट हुए थे। तभी से रुद्राभिषेक का महत्व बढ़ा, और यह पूजा विशेष रूप से पापों के नाश और समृद्धि के लिए की जाती है।

5. कावड यात्रा
(Kavad Yatra)
कावड यात्रा एक लोकप्रिय पूजा विधि है जो विशेष रूप से उत्तर भारत में प्रचलित है। इस यात्रा के दौरान भक्त अपनी पीठ पर कावड लेकर गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी से जल लेते हैं और उसे भगवान शिव के शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। यह यात्रा विशेष रूप से सावन मास के दौरान होती है।

विधि:

भक्त कावड लेकर यात्रा शुरू करते हैं और गंगा या अन्य पवित्र नदी से जल भरकर कावड में लाते हैं।
जल को भगवान शिव के शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।
इस दौरान भक्त 'बम-बम भोले' और 'हर हर महादेव' के उद्घोष करते हुए भगवान शिव की आराधना करते हैं।
उदाहरण:
कावड यात्रा का इतिहास बहुत पुराना है और इसे शिव के भक्तों द्वारा उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति के कारण यह यात्रा भक्तों के लिए एक प्रकार की साधना बन जाती है।

6. शिव पूजा में अर्पित सामग्री
भगवान शिव की पूजा में अर्पित की जाने वाली सामग्री में निम्नलिखित प्रमुख चीजें होती हैं:

जल: शिवलिंग पर जल अर्पित करना परम महत्व रखता है।
बेलपत्र: बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
दूध: दूध से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है।
धतूरा: भगवान शिव को धतूरा अर्पित करना विशेष फलदायक माना जाता है।
फल: बेल, नारियल और फल अर्पित किए जाते हैं।

निष्कर्ष
भगवान शिव की पूजा और व्रत का उद्देश्य न केवल भक्त की इच्छाओं की पूर्ति करना होता है, बल्कि यह भक्त को आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन भी करता है। शिव की पूजा विधियाँ अत्यंत सरल होते हुए भी शक्तिशाली हैं और इनसे जीवन में शांति, समृद्धि और संतोष की प्राप्ति होती है। शिवरात्रि, सोमवार व्रत, रुद्राभिषेक, पंचाक्षरी मंत्र का जप, और कावड यात्रा जैसे व्रत न केवल भक्तों के लिए पुण्यकारी होते हैं, बल्कि वे भगवान शिव की कृपा से मुक्ति की प्राप्ति की ओर भी मार्गदर्शन करते हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-09.12.2024-सोमवार.
===========================================