आधुनिक एवं पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में अंतर-1

Started by Atul Kaviraje, December 11, 2024, 09:31:17 PM

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Atul Kaviraje

आधुनिक एवं पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में अंतर-

शिक्षा समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत में शिक्षा की दो प्रमुख प्रणालियाँ रही हैं—पारंपरिक और आधुनिक। इन दोनों प्रणालियों में कई अंतर हैं। पारंपरिक शिक्षा प्रणाली पुरानी पद्धतियों पर आधारित थी, जबकि आधुनिक शिक्षा प्रणाली ने समय के साथ तकनीकी और मानसिक दृष्टिकोण में परिवर्तन किए हैं।

पारंपरिक शिक्षा प्रणाली
पारंपरिक शिक्षा प्रणाली वह शिक्षा प्रणाली थी जो पुराने समय में गुरुकुलों, पंढितों या आचार्यों के माध्यम से दी जाती थी। इसमें छात्रों को मुख्य रूप से सिद्धांत और काव्य, धर्मशास्त्र, वेद आदि के अध्ययन पर ध्यान दिया जाता था। यह एक गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित थी, जिसमें शिक्षक और विद्यार्थी के बीच व्यक्तिगत संबंध मजबूत होते थे।

मुख्य विशेषताएँ:
शिक्षक का केंद्रीय स्थान: पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षक को सर्वोपरि स्थान प्राप्त था। शिक्षक ही ज्ञान का स्रोत होते थे, और विद्यार्थियों को पूरी तरह से गुरु पर निर्भर रहना पड़ता था।

सिद्धांतात्मक और दार्शनिक शिक्षा: पारंपरिक शिक्षा में छात्रों को प्रायः वेद, उपनिषद, धर्मशास्त्र, और काव्य का अध्ययन कराया जाता था। ये पाठ्यक्रम ज्यादातर सिद्धांत और आध्यात्मिक थे।

एक दिशा में अध्ययन: पारंपरिक शिक्षा में पाठ्यक्रम सीमित और एक दिशा में केंद्रित होता था, जो अधिकतर साक्षात ज्ञान पर आधारित था, और इसमें गहरी विचारशक्ति की आवश्यकता नहीं थी।

सामाजिक संस्कारों पर जोर: इस प्रणाली में बच्चों को केवल शैक्षिक ज्ञान नहीं बल्कि सामाजिक संस्कार और नैतिक शिक्षा भी दी जाती थी।

मूल्यांकन: पारंपरिक शिक्षा में मूल्यांकन की प्रक्रिया अधिकतर मौखिक होती थी, जहां छात्र से उसकी जानकारी को सीधे परीक्षा या श्रवण द्वारा पूछा जाता था।

उदाहरण:
प्राचीन गुरुकुल प्रणाली में, जहां छात्र मुख्य रूप से अपने शिक्षक से गुरू-शिष्य संबंधों में शिक्षा प्राप्त करते थे, यह प्रणाली व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक विकास में योगदान करती थी। वहाँ पर छात्रों को जीवन के मूल्य और नैतिकता के बारे में शिक्षा दी जाती थी।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली
आधुनिक शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव हुए हैं, जिनमें तकनीकी उन्नति, शिक्षण पद्धतियाँ और मूल्यांकन विधियाँ शामिल हैं। यह प्रणाली वैज्ञानिक दृष्टिकोण, सृजनात्मकता, और समाज में सक्रिय भूमिका पर आधारित है। आधुनिक शिक्षा में तकनीकी नवाचार, स्मार्ट क्लासरूम्स, ऑनलाइन शिक्षा, और व्यावहारिक ज्ञान का सम्मिलन होता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-11.12.2024-बुधवार.
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