आधुनिक एवं पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में अंतर-2

Started by Atul Kaviraje, December 11, 2024, 09:31:45 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

आधुनिक एवं पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में अंतर-

मुख्य विशेषताएँ:
सक्रिय विद्यार्थियों की भूमिका: आधुनिक शिक्षा प्रणाली में छात्रों को सक्रिय रूप से शिक्षण प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर मिलता है। यहाँ छात्र अपनी विचारशक्ति का विकास करते हैं और नए तरीके से सीखने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं।

विविधतापूर्ण पाठ्यक्रम: आधुनिक शिक्षा प्रणाली में विविध विषयों का चयन और अंतरविभागीय अध्ययन संभव होता है। छात्रों को विज्ञान, कला, संगीत, खेल और भाषाओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा दी जाती है।

तकनीकी हस्तक्षेप: इस प्रणाली में इंटरनेट, स्मार्ट बोर्ड, लैपटॉप, और ऑनलाइन पाठ्यक्रम का उपयोग करके शिक्षा को सुलभ और प्रभावी बनाया गया है। ऑनलाइन शिक्षा की प्रणाली ने शिक्षा को घर बैठने पर भी सुलभ बना दिया है।

विविध मूल्यांकन विधियाँ: आधुनिक शिक्षा में छात्रों का मूल्यांकन केवल परीक्षाओं के आधार पर नहीं बल्कि प्रोजेक्ट्स, प्रस्तुतियों, और सामूहिक कार्यों के माध्यम से भी किया जाता है। इसका उद्देश्य छात्र की कौशल, रचनात्मकता और सामूहिक कार्य में सहयोगिता को परखना होता है।

समाज के प्रति जिम्मेदारी: आधुनिक शिक्षा प्रणाली में विद्यार्थियों को समाज की भलाई और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जागरूक किया जाता है। विद्यार्थियों को समाज में बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया जाता है, जैसे स्वच्छता, मानवाधिकार, और सतत विकास।

उदाहरण:
आजकल के शैक्षिक संस्थान, जैसे ऑक्सफोर्ड, आईआईटी, और आईआईएम, जहां छात्रों को एक विविध, इंटरैक्टिव और प्रायोगिक शिक्षा प्रदान की जाती है, जो उन्हें वास्तविक जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार करती है।

आधुनिक और पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में अंतर:
विषय   पारंपरिक शिक्षा प्रणाली   आधुनिक शिक्षा प्रणाली
शिक्षक का स्थान   शिक्षक प्रमुख होता है, जो सभी ज्ञान का स्रोत होता है।   छात्र और शिक्षक दोनों ही शिक्षा प्रक्रिया में सक्रिय होते हैं।
शिक्षण पद्धति   अधिकतर सिद्धांतात्मक, आध्यात्मिक और मौखिक शिक्षा।   प्रायोगिक, सृजनात्मक और प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा।
पाठ्यक्रम   सीमित और विशिष्ट विषयों पर आधारित।   विविधता और अंतरविभागीय विषयों का समावेश।
मूल्यांकन पद्धति   मौखिक मूल्यांकन और परीक्षाएँ।   प्रोजेक्ट्स, ग्रुप डिस्कशन, और ऑनलाइन टेस्ट के माध्यम से मूल्यांकन।
विद्यार्थी का भूमिका   विद्यार्थी मुख्य रूप से सुनने और अधिग्रहण में शामिल होते हैं।   विद्यार्थी सक्रिय रूप से सीखते हैं और समस्या सुलझाने में संलग्न रहते हैं।
तकनीकी का उपयोग   कम या बिल्कुल नहीं।   उच्च तकनीकी उपकरणों जैसे स्मार्ट बोर्ड, इंटरनेट, और ऑनलाइन पाठ्यक्रम का व्यापक उपयोग।
निष्कर्ष:
आधुनिक और पारंपरिक शिक्षा प्रणाली दोनों की अपनी-अपनी विशेषताएँ हैं। पारंपरिक शिक्षा प्रणाली ने हमें नैतिकता, संस्कार और आध्यात्मिकता का मूल्य समझाया, जबकि आधुनिक शिक्षा प्रणाली ने हमें सृजनात्मकता, प्रौद्योगिकी, और विविधता के महत्व को बताया। हालांकि, वर्तमान समय में हमें इन दोनों प्रणालियों का संमिलन करना चाहिए, ताकि हम व्यक्तिगत विकास और समाज की भलाई दोनों में संतुलन बना सकें। दोनों प्रणालियाँ एक-दूसरे की पूरक हैं और छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-11.12.2024-बुधवार.
===========================================