श्री कृष्ण का कंसवध और उसका महत्व-1

Started by Atul Kaviraje, December 11, 2024, 09:46:33 PM

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Atul Kaviraje

श्री कृष्ण का कंसवध और उसका महत्व-
( The Killing of Kamsa by Krishna and Its Significance )

प्रस्तावना:

श्री कृष्ण भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनका जीवन और उनके द्वारा किए गए कार्य न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। श्री कृष्ण ने अपने जीवन में कई महान कार्य किए, जिनमें से एक उनका कंसवध था। कंस का वध केवल एक शारीरिक संघर्ष नहीं था, बल्कि यह अत्याचार, अज्ञानता और अन्याय के खिलाफ भगवान श्री कृष्ण द्वारा लड़ा गया एक दिव्य संघर्ष था। इस घटना का महत्व सिर्फ धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि समाजिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत गहरा है।

कंस का अत्याचार और उसकी महत्त्वाकांक्षा:

कंस मथुरा का एक अत्याचारी राजा था। उसकी शक्ति और अधिकार का विस्तार था, लेकिन उसकी महत्वाकांक्षा ने उसे अंधेरे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। कंस ने अपनी बहन देवकी और उसके पति वसुदेव को बंदी बना लिया था, क्योंकि उसे एक भविष्यवाणी मिली थी कि देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा। इस भविष्यवाणी के बाद कंस ने देवकी और वसुदेव के सभी बच्चों को मार डालने का आदेश दिया। वह हर जन्मे बच्चे को मारने के लिए लालायित था, लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने कंस के इस अत्याचार का अंत करने के लिए जन्म लिया।

कृष्ण का जन्म और कंसवध की शुरुआत:

भगवान श्री कृष्ण का जन्म यदुकुल के राजा वसुदेव और देवकी के घर हुआ था। देवकी का आठवां पुत्र होने के कारण कंस ने उसे मारने के लिए जेल में डाल दिया था, लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने कंस की पकड़ से बचने के लिए एक अद्भुत चमत्कार दिखाया। उन्होंने वसुदेव को कृष्ण को नंदबाबा के घर छोड़ने के लिए प्रेरित किया और इस प्रकार कृष्ण ने अपनी जन्मभूमि मथुरा में ही कंस का वध करने का निश्चय किया।

कृष्ण के बचपन में ही उन्हें अपनी पहचान का आभास हो गया था कि वह भगवान के अवतार हैं, और उन्होंने तय किया कि वह कंस को समाप्त करेंगे, जो उस समय के सबसे बड़े अत्याचारी और धर्मविरोधी था।

कंसवध का प्रसंग:

कृष्ण ने मथुरा में प्रवेश किया और कंस से मुकाबला किया। कंस के सारे राक्षसों और उनके सहायकों को हराने के बाद, कृष्ण ने कंस के महल में जाकर उसे पराजित किया। कंस को अपनी मृत्यु का भय था, लेकिन कृष्ण ने उसे अपनी शक्ति का अहसास कराया और उसे समाप्त किया। कंस का वध होते ही मथुरा में अंधकार और अत्याचार का अंत हुआ और एक नए युग की शुरुआत हुई। कृष्ण ने कंस के अत्याचारों का नाश करके समाज में शांति स्थापित की और सत्य, धर्म, और न्याय का पालन किया।

कंसवध का धार्मिक महत्व:

कंसवध केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है, बल्कि यह धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह घटना यह दर्शाती है कि भगवान श्री कृष्ण ने सत्य और धर्म की रक्षा के लिए अत्याचार और अधर्म का संहार किया। कंस का वध यह प्रमाणित करता है कि जब धर्म संकट में होता है और अत्याचार हावी हो जाता है, तो भगवान का अवतार होता है और वह अधर्म पर धर्म की विजय दिलाते हैं।

कृष्ण के कंसवध में एक गहरा संदेश है—दुनिया में असत्य और अत्याचार का समय सीमित होता है, और एक दिन सत्य और धर्म की विजय होती है। भगवान के अवतार होने से ही अधर्म का नाश संभव हो पाता है। कंसवध इस बात को स्पष्ट करता है कि बुराई को समाप्त करने के लिए ईश्वर के रूप में भगवान का अवतार होता है, और वह धर्म की स्थापना करते हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-11.12.2024-बुधवार.
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