श्री विष्णु का नारायण रूप और उसकी महिमा-

Started by Atul Kaviraje, December 11, 2024, 09:50:04 PM

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Atul Kaviraje

श्री विष्णु का नारायण रूप और उसकी महिमा-
(The Form of Narayana of Lord Vishnu and Its Glory)

प्रस्तावना:
श्री विष्णु हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता हैं और उनका नारायण रूप उनके सर्वोत्तम और सर्वव्यापी रूपों में से एक माना जाता है। नारायण भगवान विष्णु के सर्वोत्तम अवतार का प्रतीक हैं, जो सृष्टि के पालनहार और रक्षक के रूप में समस्त विश्व का मार्गदर्शन करते हैं। श्री विष्णु का नारायण रूप शाश्वत सत्य, प्रेम और दया का प्रतीक है, और इस रूप में वे ब्रह्मा, शिव और अन्य देवताओं के साथ मिलकर सृष्टि के निर्माण, पालन और संहार के कार्यों को पूरा करते हैं।

नारायण रूप का तात्त्विक अर्थ:
"नारायण" शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है "नदी का स्वामी" या "नदी का पालन करने वाला", और यहां "नदी" का आशय जीवन के प्रवाह से है। श्री विष्णु का यह रूप निरंतर परिवर्तनशील और अव्यक्त ब्रह्म के अव्यक्त रूप का प्रतिक है। नारायण रूप में भगवान विष्णु सर्वव्यापी होते हैं, यानि वह प्रत्येक जीव में और प्रत्येक कण में विद्यमान रहते हैं।

नारायण रूप में भगवान विष्णु के चार भुजाएँ होती हैं, जिनमें एक में शंख, दूसरे में चक्र, तीसरे में गदा और चौथे में पद्म होता है। ये चार प्रतीक उनके शक्तिशाली और विश्वव्यापी रूप का प्रतीक हैं। शंख और चक्र उनके न्याय और शक्ति के प्रतीक हैं, गदा उनका बल है और पद्म शांति और वैभव का प्रतीक है। नारायण रूप का दर्शन हमें यह सिखाता है कि ईश्वर के रूप में भगवान विष्णु सृष्टि के समस्त कर्तव्यों और कार्यों का पालन करते हुए सभी प्राणियों के कल्याण के लिए कार्यरत हैं।

नारायण रूप की महिमा:

सर्वव्यापी स्वरूप:
नारायण भगवान का रूप सर्वव्यापी और निराकार है। वह हर स्थान और हर समय में उपस्थित रहते हैं, यह उनकी सर्वज्ञता और सर्वशक्तिमानता को दर्शाता है। नारायण का रूप न केवल एक दैवी अस्तित्व का प्रतीक है, बल्कि वह प्रत्येक जीव में समाहित होते हुए उसे जीवन, सुख और मुक्ति का मार्ग दिखाते हैं।

सृष्टि का पालन:
भगवान विष्णु का नारायण रूप सृष्टि के पालनहार के रूप में कार्य करता है। नारायण ही वह शक्तियां हैं, जो जीवन के हर रूप को बनाए रखते हैं और उनकी देखरेख करते हैं। इस रूप में भगवान विष्णु विश्व के संतुलन और स्थिरता का ध्यान रखते हैं। उनके इस रूप के माध्यम से, प्रत्येक जीव को जीवन जीने की दिशा और प्रेरणा मिलती है।

दैवीय दया और कृपा:
नारायण रूप भगवान विष्णु की दया और कृपा का प्रतिक है। वह हर एक जीव के प्रति अपनी अनंत दया और प्रेम व्यक्त करते हैं। वह हर संकट में अपने भक्तों की रक्षा करते हैं, और उनके पापों का नाश कर उन्हें मुक्ति की दिशा दिखाते हैं। उनके इस रूप की महिमा यह है कि वह कभी भी अपने भक्तों को असहाय नहीं छोड़ते और उनका साथ नहीं छोड़ते।

धर्म का पालन:
नारायण रूप में भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए कई अवतार लिए। चाहे वह मच्छ अवतार हो, कूर्म अवतार हो या फिर नरसिंह अवतार हो, भगवान विष्णु ने हर अवतार में धर्म की स्थापना और राक्षसों का वध किया। नारायण रूप से यह भी समझा जा सकता है कि भगवान विष्णु ने हमेशा सत्य और धर्म का पालन किया और अपनी शक्ति से बुराई का नाश किया।

भक्तों का उद्धार:
नारायण रूप के माध्यम से भगवान विष्णु ने अपने भक्तों को संकटों से मुक्त किया और उन्हें आशीर्वाद दिया। उदाहरण के तौर पर, प्रहलाद का उदाहरण लिया जा सकता है, जिन्होंने भगवान विष्णु के नारायण रूप पर विश्वास रखा और नारायण ने अपनी दिव्य कृपा से उन्हें हर प्रकार के कष्ट से उबारा। यही नहीं, भगवान विष्णु ने राक्षस हिरण्यकशिपु को हराया और प्रहलाद को उनकी सुरक्षा दी।

उदाहरण:

ध्रुव का उदाहरण:
ध्रुव एक छोटे से बालक थे, जिन्होंने भगवान विष्णु के नारायण रूप की भक्ति की थी। वह अपने पिता से अप्रसन्न होकर वन में चले गए और वहां उन्होंने कठोर तपस्या की। भगवान विष्णु ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और वरदान दिया कि वह अयोध्या के राजा के रूप में पूजनीय होंगे। यह दिखाता है कि नारायण रूप में भगवान विष्णु अपने भक्तों की भक्ति को कभी भी व्यर्थ नहीं जाने देते।

प्रल्हाद की कथा:
प्रल्हाद भगवान विष्णु के महान भक्त थे। उनके पिता हिरण्यकशिपु ने विष्णु के विरोध में कई जतन किए, लेकिन नारायण रूप में भगवान विष्णु ने प्रल्हाद की रक्षा की और उनके पिताजी को नष्ट किया। यह काव्य नारायण की भक्ति की महिमा को प्रमाणित करता है, जिसमें भगवान ने अपने भक्त की रक्षा की और पाप का विनाश किया।

निष्कर्ष:
श्री विष्णु का नारायण रूप हमें जीवन के प्रत्येक पहलू में शांति, आशीर्वाद और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। वह अपने भक्तों को अपने नारायण रूप के माध्यम से सुरक्षा और कृपा प्रदान करते हैं। उनकी महिमा असीमित है, और उनका नारायण रूप सत्य, प्रेम, और शांति का प्रतीक है। विष्णु के इस रूप का समर्पण और भक्ति का मार्ग हर भक्त के लिए एक दिव्य प्रेरणा है, जो जीवन में अच्छे कर्मों को करने और परमात्मा के साथ आत्मिक संबंध स्थापित करने में सहायता करता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-11.12.2024-बुधवार.
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