"रात के आसमान के साथ समुद्र तट पर कैम्पफ़ायर"

Started by Atul Kaviraje, December 13, 2024, 11:57:50 PM

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Atul Kaviraje

शुभ रात्रि, शुक्रवार मुबारक हो

"रात के आसमान के साथ समुद्र तट पर कैम्पफ़ायर"

समुद्र तट पर शांति है, लहरें धीरे से बहतीं,
रात का आकाश गहरा, जैसे नीरवता में डूबतीं,
चाँद की हल्की सी रोशनी पड़ी है सागर पर,
और कैम्पफ़ायर जल रहा है, सुनहरी लपटें तैरतीं हैं घर।

आग की लपटें उभरतीं, धुएँ में गुम हो जातीं,
निकलतीं सुनहरी छायाएँ, रेत पर सिमट जातीं,
लहरों का संगीत, हवा का गीत,
सुनते हुए हम, महसूस करते हैं रात की चुप्प।

चाँद का चाँदनी में सागर के ऊपर रजत सा चाँद,
रात के सन्नाटे में जैसे धरती से जुड़ गया है आकाश,
हमारे चारों ओर एक शांति की गहरी शृंखला,
कैम्पफ़ायर की गर्मी में, हर धड़कन हमारी संगीत बनी।

सागर के पास बैठकर, हम और तुम, बस मौन,
रात के शीतल हवा में एक कश्ती सा जीवन पवित्र हो।
कभी-कभी लहरें उफान मारकर तट तक आतीं,
फिर धीरे से शांत होकर वापस चली जातीं।

हमें लग रहा है कि समय जैसे रुक सा गया,
इस लम्हे में सब कुछ ठहरा हुआ सा हो गया।
आग के साथ बैठकर, जैसे दिल ने कुछ कहा,
"चाहे जो भी हो, यह पल हमेशा याद रहेगा, सच्चा।"

आग की लपटों में हम अपनी उम्मीदें जलाते,
आशा की एक किरन, जैसे समुंदर से निकलते।
सागर की गहराई में अनकहे रहस्य हैं,
लेकिन इस चाँदनी रात में, सब कुछ सुंदर और साफ है।

आसमान में टिमटिमाते हैं हजारों तारे,
जैसे अनगिनत ख़्वाब छुपे हों तुम्हारे हमारे।
हर सितारा अपनी राह में एक कहानी बयां करता,
हर एक ठंडी हवा हमारे दिल को महसूस करता।

समुद्र की लहरों में जैसे कोई सुर लहराता,
रात के अंधेरे में सागर एक राग गाता।
हम दोनों उसकी आवाज़ में खो जाते हैं,
इस शांत रात में, हम बस खुद को पाते हैं।

कैम्पफ़ायर की हल्की सी जलती लपटों में,
हमारे चेहरे पर भी नर्म चमक थी छिपी,
लहरों के बीच, जैसे सारा जहान एक हो गया,
समुद्र तट पर रात और हम जैसे एक हो गए।

जब आकाश ने चाँद को भी अपने आंचल में समेट लिया,
आग की लपटें धीरे-धीरे कम हो गईं, जैसे रात ने समेट लिया।
लेकिन उस चाँदनी रात की रोशनी में,
हमारे दिलों में एक चिराग जलता रहे, हमेशा इसी राह पर।

रात का आकाश गहरा, सागर का गान,
और कैम्पफ़ायर की हल्की सी रौशनी का आनंद,
सबकुछ जैसे एक चित्र बनता गया,
जिसमें सारा आकाश, समुद्र, और हम एक थे, बिना किसी विचार के।

और जब रात की शांति में कोई शब्द नहीं था,
हमारी आत्माएँ एक-दूसरे में समाई थीं,
समुद्र तट पर कैम्पफ़ायर और रात का आकाश,
हमारे जीवन का सबसे सुंदर गीत बन गया।

--अतुल परब
--दिनांक-13.12.2024-शुक्रवार.
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