"रात में जगमगाता शहर का क्षितिज"

Started by Atul Kaviraje, December 14, 2024, 11:58:28 PM

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Atul Kaviraje

शुभ रात्रि, शनिवार मुबारक हो

"रात में जगमगाता शहर का क्षितिज"

रात का आकाश गहरा और शांत,
शहर की छांव में एक अनकही बात।
हर गली, हर मोड़, हर सड़कों पर रौशनी,
जगमगाती हुई, जैसे जड़ से जुड़ी हो कोई एक छांव की तनी।

दूर से दिखती हैं वो चमकतीं लाइट्स,
जिनमें छिपे हैं जीवन के लाखों गीत,
ऊँची इमारतों की सिल्हूटें रात में चमकतीं,
हर एक खिड़की में छोटी सी दुनिया बसतीं।

सड़कें बिछी हैं सोने जैसी,
शहर में जैसे हर कदम से बात होती है।
हर कार की आवाज, हर कदम की रफ्तार,
सुनाई देती है, मगर फिर भी सुकून है अपार।

आकाश में तारों की जगह अब लाइट्स ने ली,
नियॉन रंगों में बसी हर एक सदी।
हर मोड़ पर एक नया सपना पलता है,
और हर इमारत पर समय का धागा चलता है।

सड़क किनारे जलते हैं चाँद जैसे दीप,
कभी हंसी, कभी आंसू, इन लाइट्स में गहरे चीख।
मनुष्यता की सगाई, शहर की सदी,
यहाँ हर दिल में बसी है एक नयी उम्मीद की दी।

शहर की छांव, उसकी कहानियां जिंदगीनुमा,
रात के अंधेरे में, हर रोशनी होती है परफेक्ट पिज़्ज़ा।
जगमगाता है ये शहर, बस नहीं थमता,
हर एक पल को जीने का एक रास्ता दिखाता।

यह शहर, यह आकाश, यह रात, यह जलती रौशनी,
इनमें कुछ है, जो कहता है जिंदगी की सच्चाई।
रात में चमकते शहर के ये दृश्य अनमोल,
हमारे जीवन की प्रेरणा, हमारा अनकहा ध्येय है गोल।

वो शहर, वो आकाश, वो रात का सुकून,
जहाँ हर रौशनी बनाती है नया ख्वाब, नया जुनून।
यह आकाश की विशालता, यह शहर की ऊँचाई,
यह जीवन की चमक और ठंडी हवाओं की साई।

हर एक लाइट, हर एक गली, हर एक लम्हा,
इस शहर की कहानी है, जो बस हमें खुद को समझना।
जगमगाता शहर, वह क्षितिज, वह चमक,
शहर में छिपे रहते हैं, दुनिया के लाखों जतन।

--अतुल परब
--दिनांक-14.12.2024-शनिवार.
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