"आरामदायक बैठने की जगह के साथ चिमनी"

Started by Atul Kaviraje, December 15, 2024, 08:44:29 PM

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Atul Kaviraje

शुभ संध्या, रविवार मुबारक हो

"आरामदायक बैठने की जगह के साथ चिमनी"

चिमनी में आग की लौ धीरे-धीरे जल रही है,
सुनहरी लपटें हवा में फैल रही हैं,
हर चिंगारी एक कहानी कहती है,
जो अंधेरे को चीरती हुई उजाले की ओर बढ़ रही है।

चारों ओर शांति की छांव फैली हुई है,
कमरे में सुकून की गूंज सुनाई देती है,
चिमनी की हल्की-सी आंच, गर्माहट से भर देती है,
एक कोने में आरामदायक जगह, मन को तरोताजा कर देती है।

आर्मचेयर में बैठा हर कोई आराम से,
आग की हल्की रौशनी में खो जाता है,
पल भर में सारी चिंता दूर हो जाती है,
हर घड़ी एक नई शांति की ओर बढ़ जाती है।

चाय के कप से उठती गर्म भाप,
पानी में घुलते सुख के एहसास,
दूर कहीं हलकी सी सर्द हवा बहती है,
लेकिन यहाँ चिमनी का गर्माहट सब कुछ समेटती है।

चिंगारी की हलकी सी खनक, जैसे कोई संगीत,
आग की लपटों में छुपे हो अनगिनत गीत,
हर पल एक नई रचना की तरह,
यह चिमनी एक खामोश कवि की तरह।

कमरे में बिखरी चादर और तकिया,
आर्मचेयर में पड़ी एक किताब का पन्ना,
यहां बैठकर हर विचार ठंडा हो जाता है,
दिल की हलचल शांति से भर जाती है।

हवा में खुशबू है लकड़ी की जलन की,
और आग की तेज लपटों से उभरते हैं रंग,
यह जगह न सिर्फ आराम का केंद्र है,
यह एक सफर है, जो दिल और मन को एक करता है।

यह चिमनी, यह आंच, यह जलती लौ,
एक साथ मिलकर बनाती हैं दुनिया को ख़ास,
यहां हर दिल को मिलता है एक ठहराव,
एक जगह जहाँ जीवन को मिलता है फिर से अहसास।

वह जगह, जहां बैठकर आप थकान भूल जाते हैं,
जहां हर विचार और चिंता एक लहर की तरह बह जाती है,
चिमनी की गर्मी में सब कुछ शांत हो जाता है,
दिल में ताजगी और मन में नई उम्मीद छा जाती है।

हर पल, हर सांस, हर आग की झपक,
इस आरामदायक बैठने की जगह पर,
एक कहानी जैसे बुनती है चिमनी,
और हम उस कहानी के एक हिस्सा बनते जाते हैं।

चाय का कप, किताब की कुछ पंक्तियां,
आग की हल्की धधकन और संगीत की गूंज,
हर चीज़ का अपना एक स्पर्श है यहां,
जो इस ठंडी रात को एक अद्भुत गर्मी में बदलता है।

आत्मा को शांति, दिल को सुकून,
सभी भावनाओं को मिलाकर यह जगह बन जाती है
उस एक पल की अद्भुत यात्रा,
जहां चिमनी, आरामदायक सीट और रात का माहौल
सभी दुखों और चिंता से परे एक नया सूरज उगता है।

यह चिमनी की गर्मी और उस एकांत का जादू,
जिसमें हर पल का सुख अनमोल हो जाता है,
यही वह जगह है, जहाँ समय ठहर जाता है,
और हम चुपचाप, गहरे आराम में खो जाते हैं।

--अतुल परब
--दिनांक-15.12.2024-रविवार.
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