"रात में जगमगाती शहर की सड़कें"

Started by Atul Kaviraje, December 18, 2024, 09:27:45 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

शुभ संध्या, बुधवार मुबारक हो

"रात में जगमगाती शहर की सड़कें"

रात का सन्नाटा, चाँद की रौशनी,
शहर की सड़कों पर एक नई कहानी,
हर मोड़ पे खड़ी हैं यादें कुछ पुरानी,
जगमगाती रौशनी, जैसे स्वप्न हो जवानी।

गाड़ियों के झिलमिलाते हैं रौशन डिब्बे,
चमकते हैं सड़क के किनारे, जैसे हज़ारों दीप,
हर कदम पर कोई खोजे अपनी राह,
रात के इस अंधेरे में बसी है एक आस, एक चाह।

दूर-दूर तक फैली हैं ये सड़कों की लकीरें,
हर एक दिशा में बसी हैं कुछ अधूरी उम्मीदें,
कहीं रुकती हैं कुछ क़िस्से, कहीं चलतीं हैं हवा,
जगमगाती रात में, जैसे हो एक सपना जिंदा।

यह शहर अपने आप में एक महल सा लगता है,
हर गली, हर मोड़, एक नई दास्तान बुनता है,
रात के अंधेरे में जैसे सब कुछ नया सा होता है,
यहाँ हर अजनबी भी अपने घर जैसा महसूस होता है।

चाँद की रौशनी में सड़कों पर चलते लोग,
हर चेहरे पर एक गहरी सी खामोशी, कुछ सवाल, कुछ जोग,
कोई जाने किसको ढूंढ रहा है, कोई किसे खो चुका,
यह शहर की सड़कें हैं, जो सबके दिलों में बस चुकीं हैं।

दूर कहीं संगीत की आवाज़ सुनाई देती है,
शहर की धड़कन में कोई पुराना गीत गूंजती है,
यह रास्ते, यह मोड़, यह जिंदगियों के साक्षी हैं,
कहीं एक सपना टूटता है, तो कहीं नया सपना जगता है।

सड़कें न केवल रास्ते, बल्कि जीवन का हिस्सा हैं,
कभी रुक कर सोचो, क्या ये खुद भी हमसे कुछ कहती हैं?
रात के सन्नाटे में यह चुपचाप बयां करती हैं,
हमारी इच्छाएँ, हमारी गलतियाँ, और हमारी सच्चाईयां।

रात में जगमगाती शहर की सड़कें,
हमसे कहती हैं, "दुनिया बहुत बड़ी है,
हर रात के बाद एक नया दिन आता है,
तुम्हारा रास्ता, तुम्हारे कदमों से बनता है।"

चाहे हम खो जाएं, चाहे हम खुद को ढूंढे,
ये सड़कों की रोशनी कभी नहीं बुझती,
यह शहर, यह रात, यह सफर, एक अनकही सी बात,
हर मोड़ पर एक नया रास्ता, एक नई शुरुआत।

--अतुल परब
--दिनांक-18.12.2024-बुधवार.
===========================================