"सितारों के नज़ारे वाला एक शांतिपूर्ण बरामदा"

Started by Atul Kaviraje, December 19, 2024, 12:13:24 AM

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Atul Kaviraje

शुभ रात्रि, बुधवार मुबारक हो

"सितारों के नज़ारे वाला एक शांतिपूर्ण बरामदा"

चाँदनी रात में, हवाओं की नरम लहर,
शांति का गहना, आकाश में बिखरा सा हर,
बरामदे पर बैठा मैं, सोते हुए आकाश को देख रहा,
जहां हर तारा अपनी कहानी कह रहा।

सितारे दूर, अज्ञात आकाश की गहराई में,
फिर भी उनका उजाला, दिल को छूता है सही समय में,
हर एक चमक, एक छुपा हुआ राज़ है,
जैसे सन्नाटे में बसी एक नज़्म, जिसमें हर शब्द कुछ खास है।

बरामदे की छाँव में, रात का साम्राज्य है,
और आसमान में हर तारा, एक सपना सा महकता है,
हर एक सांस के साथ, हवा की ठंडक और नमी,
मन में उठते हैं विचार, जैसे धुंधली सी कोई छवि।

दूर-दूर तक फैले आसमान की चादर,
सितारे उसे सजा रहे हैं, जैसे कोई कलाकार,
कभी-कभी एक तारा गिरता है, एक ख़्वाब सा,
वो पल, वो चाहत, बस यही एक अद्भुत रास्ता।

मौन सागर में बसी ये आकाश की रौशनी,
चुपके से लाती है दिल में सुख की रवानी,
बरामदे से देखे ये सितारे, एक प्रतीक बन जाते हैं,
जिंदगी के हर मोड़ पर, जैसे कोई सहारा बन जाते हैं।

दूर-दूर तक फैला यह शांत आकाश,
सितारे बिखरे हुए, एक जलते हुए आदर्श,
मुझे लगता है जैसे मैं सब कुछ जानने लगा,
इन चमकते सितारों के बीच, मैं खुद को खोने लगा।

सितारे, जो दिन भर अज्ञात रहते हैं,
रात को अपनी कहानी खुद बयाँ करते हैं,
यही सबक, यही सिख, इन सितारों से पाया,
हमेशा असंभव के बाद ही कुछ सुंदर पाया।

बरामदा मेरा, सितारों से सजा हुआ,
एक शांतिपूर्ण कोना, जहां मन हुआ
हर डर, हर चिंता, सब कुछ हलका सा हो जाता है,
और दिल की गहराई में एक सुखद अहसास होता है।

सितारों का नज़ारा, एक अमूल्य खजाना है,
जो हमें हमारे भीतर की दुनिया से मिलाता है,
बरामदे पर बैठा, आकाश में खो जाता हूँ,
यह शांतिपूर्ण पल, हर कष्ट से दूर, यहाँ मैं खो जाता हूँ।

हर तारा, एक गहना, एक मंत्र सा लगता है,
सारे आकाश में बसी एक महानता, जो पल भर में रुक जाती है,
बरामदे में बैठ, इन सितारों से मैं सब कुछ समझ पाता हूँ,
इस नक्षत्रमंडल में, मैं अपनी सच्चाई पा जाता हूँ।

--अतुल परब
--दिनांक-18.12.2024-बुधवार.
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