"एक शांत वन पथ पर सूर्योदय"

Started by Atul Kaviraje, December 19, 2024, 09:19:13 AM

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Atul Kaviraje

सुप्रभात, शुभ गुरुवार मुबारक हो

"एक शांत वन पथ पर सूर्योदय"

रात की चुप्प सिहरन को चीरते हुए,
धुंध के बीच, नए जीवन के बीज उगते हुए।
सूरज की किरणों का नाजुक सैलाब,
छूने को तैयार था हर पेड़ का मूक प्रपंच।

अंधकार के समुद्र में डूबे थे सपने,
लेकिन अब कुछ पल में वो सब होंगे अपने।
एक हल्की सी ठंडी हवा की लोरी,
जंगल की शांति में गूंज रही थी कोई जोड़ी।

पथ की धूल से एक नयी आशा फूटी,
हर कदम में जैसे कोई पुरानी याद बसी।
टूटते हुए अंधेरे में, अब दिन का स्वागत था,
जंगल की शाखाओं पर उगता सूरज मंत्रमुग्ध था।

आकाश का नीला रंग अब हलका सा बदलने लगा,
सूरज की स्वर्णिम किरणें धीरे-धीरे फैलने लगीं।
जंगल के हर कोने में बसी थी एक नई सदी,
जगते थे पौधे, जाग रही थी हर शाखा, हर घनी।

सावधानी से बढ़ते हुए पथ पर कदम,
सुबह की नजाकत, और सुगंध से दिल भरें।
फूलों के रंगों में जैसे बसी थी कोई प्रेम कथा,
हर फूल में कुछ छुपा, जो दिल को गहराई से कहता।

पक्षियों की चहचहाहट ने लिया था स्वर,
जैसे एक संगीत की रचना हो रही हो।
मधुर स्वर में गाती थी हवाएँ,
हर ध्वनि, हर राग जैसे आत्मा की आवाज हो।

बांसुरी की मीठी ध्वनि, हवा में गूंजे,
चरणों के निशान अब हर कदम पर छाए।
यह पथ, यह जंगल, यह सूर्योदय का जो दृश्य,
राहें खोले, हर दिल में एक नई उमंग पिघलाए।

हर शाखा में नये जीवन की कहानी,
जैसे सूरज का हर किरण एक कविता लिखे।
धन्य हो वो पल, जो हर कोने में बस गया,
इस शांत वन पथ पर सूर्योदय ने एक दीवार तोड़ी।

यह सुबह, यह रौशनी, यह नया जीवन,
हर पल में बसी है एक नई उम्मीद की कहानी।
वन के पथ पर सूर्योदय ने दिखाई है राह,
जहाँ नीरवता भी गाती है जीवन के गीत।

चलो, इस पथ पर, इस सूरज की किरण में,
हम भी चलें, जहाँ हर शांति का संदेश हो।
यह शांत वन पथ, यह सूर्योदय का अद्भुत रूप,
हम सब को दर्शाता है, जीवन की सुंदरता का एक मूर्त रूप।

--अतुल परब
--दिनांक-19.12.2024-गुरुवार.
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