"सुनहरी दोपहर का सूरज लुढ़कती पहाड़ियों पर"

Started by Atul Kaviraje, December 19, 2024, 05:08:35 PM

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Atul Kaviraje

शुभ दोपहर, शुभ गुरुवार मुबारक हो

"सुनहरी दोपहर का सूरज लुढ़कती पहाड़ियों पर"

सुनहरी दोपहर का सूरज आकाश में मुस्काए,
लुढ़कती पहाड़ियों पर अपनी किरणें बिखेर जाए।
हर एक लहर में, हर एक रौशनी में,
नए जीवन का ख्वाब छिपा हो जैसे ख्वाबों में।

पानी की हलकी सी फुहार, एक ताजगी का एहसास,
वृक्षों के बीच से गुजरती, जैसे बिछ रही हो कोई खास।
सूरज की किरणें, पहाड़ियों की चोटियों को छूने लगीं,
धरती पर सुनहरी रेखाएं इस प्यार से बिछने लगीं।

हवा की हलचल, जैसे कोई गीत गाए,
पेड़ों की शाखें, उसे धीरे-धीरे नचाए।
सांझ का आकाश और उगते चाँद का प्रेम,
सूरज का विदा लेना, एक मधुर गीत का गान।

झरने की आवाजें, पहाड़ियों के बीच में बसीं,
सागर की लहरें उन आवाजों में खो सी गईं।
हर एक ध्वनि, एक सुकून देने वाली बात,
हर एक लहर, एक प्रेम कहानी की शुरुआत।

चरणों के निशान, जहाँ कभी कोई चला था,
आज भी मौजूद हैं, लेकिन शांति से भरा हुआ।
एक व्यक्ति बैठा है, सोचता है चुपचाप,
क्या खोया और क्या पाया इस खूबसूरत रास्ते पर।

सूरज की किरणें अब आकाश के ध्रुव से मिलती हैं,
पहाड़ों के शिखर पर, धरती की पवित्रता झलकती है।
संध्या का पंख फैलने लगता है,
और दिन का उन्मुक्त संगीत धीरे-धीरे बंधने लगता है।

हमें यह याद दिलाती है यह दृश्य क़ुदरत का रंग,
कि जीवन में हर एक पल सुकून और प्रेम का रंग।
सूरज का डूबना, एक कहानी है समर्पण की,
वह पूरी करता है अपना वादा, प्रेम और शांति से।

सुनहरी दोपहर में जो सूरज लुढ़कता है,
वह सब कुछ सिखाता है, क्योंकि वह हर कष्ट सहता है।
यह सिखाता है, कठिनाई के बावजूद हंसना,
यह सिखाता है, जीवन के सफर को पूरी तरह जीना।

अब सूरज अस्त हो चुका है, पहाड़ियों के पीछे,
लेकिन उसकी यादें, सबको मिलती हैं हर एक वक़्त पे।
जैसे यह पहाड़, हर मौसम से गुजरते हैं,
वैसे ही हम, हर वक्त से गुजरते हैं।

यह दोपहर की सुनहरी रौशनी, हमें यह सिखाती है,
हमेशा अपने रास्ते में, चाहे जैसे भी समय हो, आगे बढ़ते रहना चाहिए।
सूरज की वो किरण, जो दिन में हमारे साथ होती है,
वह रात के अंधेरे में भी हमारे दिल में रहती है।

—सुनहरी दोपहर का सूरज और लुढ़कती पहाड़ियों का यह दृश्य, जीवन के सबसे प्यारे और प्रेरणादायक लम्हे को दिखाता है।

--अतुल परब
--दिनांक-19.12.2024-गुरुवार.
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