संतोषी माता: 'मन की शांति' की देवी-1

Started by Atul Kaviraje, December 20, 2024, 10:28:25 PM

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Atul Kaviraje

संतोषी माता: 'मन की शांति' की देवी-
(Santoshi Mata: The Goddess Who Brings 'Peace of Mind and Mental Calm')

संतोषी माता हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं, जो विशेष रूप से अपनी संतुष्टि, शांति और मानसिक संतुलन के कारण भक्तों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हैं। वे ऐसी देवी मानी जाती हैं जो अपनी भक्तों की हर समस्या का समाधान करती हैं और उन्हें मानसिक शांति व संतोष प्रदान करती हैं। संतोषी माता के भक्तों का मानना है कि उनकी पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और मानसिक स्थिति में सुधार आता है। इस लेख में हम संतोषी माता के महत्व, पूजा विधि, और उनके भक्ति संप्रदाय पर विस्तृत विचार करेंगे, और यह भी समझेंगे कि क्यों वे 'मन की शांति' और मानसिक संतुलन की देवी मानी जाती हैं।

1. संतोषी माता का तत्त्वज्ञान और उनका रूप
संतोषी माता को संतुष्टि और शांति की देवी माना जाता है। उनका रूप एक साधारण गृहिणी के रूप में होता है, जो दीन-हीन अवस्था में रहने वाले लोगों की मदद करती है। वे अपने भक्तों को यही सिखाती हैं कि यदि व्यक्ति जीवन में संतुष्ट रहे और छोटी-छोटी बातों पर प्रसन्न रहे, तो वह मानसिक शांति और सुखी जीवन जी सकता है। संतोषी माता के बारे में यह विश्वास है कि वह भव्य और ऐश्वर्य की बजाय साधारण जीवन जीने में खुश रहने वालों को आशीर्वाद देती हैं। उनका संदेश यह है कि जीवन के छोटे-छोटे आनंदों में संतुष्ट रहकर मनुष्य शांति और सुख पा सकता है।

2. संतोषी माता का भक्ति संप्रदाय
संतोषी माता का भक्ति संप्रदाय प्राचीन समय से अस्तित्व में है, और आज भी इसे पूरे भारत में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। संतोषी माता की पूजा साधारण, सरल और भक्तिमूलक होती है, जो मानसिक शांति और संतुष्टि के साथ-साथ भौतिक सुखों को भी आकर्षित करती है। उनके भक्तों का मानना है कि उनकी पूजा से समृद्धि, सुख और शांति की प्राप्ति होती है।

2.1 भक्ति के प्रमुख आयाम:
साधारण पूजा विधि: संतोषी माता की पूजा बहुत सरल होती है। पूजा में एक छोटा सा दीपक, नींबू, गुड़, और चने की दाल अर्पित की जाती है। पूजा में मंत्रों का जाप, विशेष रूप से "ॐ संतोषी माता जय जय संतोषी माता", किया जाता है। यह मंत्र विशेष रूप से मानसिक शांति और संतुष्टि की प्राप्ति के लिए उच्चारित किया जाता है।

संतोषी माता की उपासना: संतोषी माता की उपासना से यह विश्वास किया जाता है कि भक्त अपने जीवन के संघर्षों से उबरने में सफल होते हैं। उन्हें मानसिक शांति मिलती है और उनके अंदर संतुष्टि की भावना बढ़ती है। पूजा में मंत्र जाप के साथ-साथ ध्यान और साधना भी की जाती है।

संतोषी माता का व्रत: एक विशेष दिन, खासकर शुक्रवार, को संतोषी माता का व्रत रखने की परंपरा है। इस दिन उपवास रखने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। भक्त इस दिन विशेष रूप से संतोषी माता के मंत्रों का जाप करते हैं और उनसे सुख-शांति की कामना करते हैं।

2.2 समाज में संतोषी माता का योगदान:
संतोषी माता के भक्ति संप्रदाय का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा है। उनकी पूजा ने लोगों को यह सिखाया कि जीवन में हर समय खुश रहने के लिए बाहरी भौतिक चीजों की आवश्यकता नहीं है, बल्कि मानसिक संतोष और शांति ही सबसे बड़ी संपत्ति है। संतोषी माता के भक्ति संप्रदाय ने निम्नलिखित प्रमुख योगदान दिए हैं:

मानसिक शांति और संतुष्टि का प्रसार: संतोषी माता की उपासना से भक्तों को मानसिक शांति और संतुष्टि मिलती है। आज के तनावपूर्ण जीवन में जहां लोग मानसिक परेशानी और चिंता से जूझ रहे हैं, संतोषी माता की पूजा उन्हें एक संतुलित और शांत जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है।

सामाजिक एकता और समृद्धि: संतोषी माता का भक्ति संप्रदाय समाज में भाईचारे और समृद्धि का संदेश देता है। उनके अनुयायी जाति, धर्म या वर्ग के भेद से ऊपर उठकर एक साथ पूजा करते हैं, जिससे सामाजिक एकता और समृद्धि को बढ़ावा मिलता है।

संघर्षों से उबरने की शक्ति: संतोषी माता की भक्ति और उनकी पूजा विधियाँ उन लोगों के लिए बहुत प्रभावशाली होती हैं जो जीवन में संघर्षों से जूझ रहे होते हैं। उनके भक्त मानते हैं कि संतोषी माता का आशीर्वाद मिलने से जीवन की परेशानियाँ दूर होती हैं और उनकी मेहनत में सफलता मिलती है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-20.12.2024-शुक्रवार.
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