"सुबह की ओस के साथ एक शांतिपूर्ण बगीचा"

Started by Atul Kaviraje, December 21, 2024, 07:32:15 AM

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Atul Kaviraje

सुप्रभात, शनिवार मुबारक हो

"सुबह की ओस के साथ एक शांतिपूर्ण बगीचा"

सूरज की किरणों ने चुम लिया आकाश,
हवाओं में बसी नर्म सी एक ताजगी का एहसास,
जमीन पर बिखरे हैं ओस के मोती जैसे,
जो जैसे कह रहे हों, ''सुबह आई है नए रंगों के साथ।''

बगीचे में कदम रखते ही शांति का आलम है,
हर शाख पर लहराता हुआ प्यार सा कोई मौसम है,
फूलों से महकता हुआ एक अद्भुत संगीत,
जो दिल को छू जाए, यही तो है इस बगीचे का गीत।

वृक्षों के साये में आराम से बैठो तुम,
मन के हर कोने में समा जाए ये गुनगुन,
आंखों में बसी हो जैसे, नीरव सी एक तस्वीर,
जो शांतिपूर्ण हो, जिसमें हो सिर्फ प्यार और धीर।

ओस की बूँदें पत्तों पर नाच रही हैं,
कभी एक-दूसरे से मिलकर, कभी टूट कर गिर रही हैं,
हर बूँद में बसी है एक नई उम्मीद की किरण,
जो जीवन में बसी हो, वैसे ही सुखद समृद्धि की ध्वनि।

हर कदम पर फिजाओं में गूंजे एक गीत,
फूलों के रंगों से हो हर आंगन में गीत,
एक कोने से बूटों की महक उठ रही है,
वहीं दुसरे कोने में ताजगी बिखर रही है।

सुबह की ओस ने जैसे बगीचे को धो लिया,
सभी पत्तों को अपनी शीतलता से संजीवनी दी,
नमी से लहराता है चाँद सा ख्वाब,
और सूर्य की किरणें उसे रंगीन करती हैं।

यह बगीचा जैसे जीवन का प्रतीक हो,
जहाँ हर सुबह नयी शुरूआत हो,
ओस की हर बूँद में जीवन का सार छुपा है,
जो हमें सिखाता है, हर नए दिन को पूरे दिल से जीना।

कुछ पल थम जाएं, इस बगीचे में खो जाएं,
हर ओस की बूँद में अपना चिंतन ढूंढ जाएं,
हर फूल में एक कहानी छुपी हो,
हर पत्ते में बसी हो, एक यादों का फव्वारा।

यह बगीचा हमें सिखाता है,
संघर्ष के बाद शांति का क्या अर्थ होता है,
ओस की बूँदों की तरह हम भी टूट सकते हैं,
लेकिन फिर से उठकर दुनिया में चमक सकते हैं।

हर सुबह यहाँ की ताजगी, जैसे खुदा की दुआ हो,
जो हमें हर दिन के संघर्ष को सहने की ताकत देती हो,
आओ, हम सब इस बगीचे में खो जाएं,
जहाँ सुबह की ओस के साथ शांति हम अपनाएं।

कभी खुद को बगीचे की एक कोने में रखो,
फूलों की खुशबू में खुद को खो दो,
यहाँ का हर पल एक सिखावन है,
जो हमें सिखाता है, जीवन को प्यारे से जीना है।

--अतुल परब
--दिनांक-21.12.2024-शनिवार.
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