"रात में तालाब में प्रतिबिंबित होती शहर की रोशनी 🌆🌙"

Started by Atul Kaviraje, December 23, 2024, 12:37:04 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

शुभ रात्रि, रविवार मुबारक हो

"रात में तालाब में प्रतिबिंबित होती शहर की रोशनी 🌆🌙"

शहर की रोशनी, दूर से चमकती है,
रात की शांति में, जैसे चाँद सी चमकती है। 🌟🌙
तालाब की सतह पर, वो रोशनी बिछती है,
हर बूँद में, शहर की धड़कन मिलती है। 💧💖

चाँद अपनी चुप्पी में खो जाता है,
शहर का हर रंग, तालाब में समाता है। 🌜🎨
रोशनी की लकीरें, जैसे सोने की तार,
पानी में उनकी छाया, कुछ अनमोल विचार। ✨🌃

रात की हवा में हल्की सी ठंडक,
शहर की बत्तियाँ, जैसे एक छोटी सी सौम्यता। 🌬�💡
तालाब में हर लहर, हर हलचल एक कहानी,
शहर और चाँद की, एक अनोखी यादों की जवानी। 🌙💭

तालाब की लहरें, जैसे शहर के पल,
हर लहर में बसी हो, ज़िन्दगी के रंग-रंग दल। 🌊🎶
रोशनी की झिलमिलाहट, अंधेरे में रंगीन,
चाँद और शहर, दोनों दिखते हैं बहुत ही महीन। 🌟💫

शहर की ये रोशनी, जैसे एक सपना हो,
तालाब में उसकी छाया, जैसे समय ठहर सा हो। ⏳💭
चाँद और शहर के बीच ये प्यारा सा संवाद,
शांति में, रात में, मिलती है एक नई सौगात। 🌙💡

हर बत्ती की रौशनी, रात में जैसे गूंजे,
तालाब में उसका प्रतिबिंब, धीरे-धीरे घूमे। 🌃💖
यह नज़ारा कुछ खास है, अद्भुत और प्यारा,
रात में तालाब में शहर की रोशनी, जैसे हो एक नया सहारा। 🕯�✨

     यह कविता रात में तालाब में प्रतिबिंबित होती शहर की रोशनी को एक सुंदर, शांत और मनमोहक तरीके से व्यक्त करती है। 🌆🌙 कविते में 💧, ✨, 🌜, और 🌬� जैसे इमोजी का उपयोग किया गया है, जो इस दृश्य को और भी आकर्षक और महसूस करने योग्य बनाते हैं।

--अतुल परब
--दिनांक-22.12.2024-रविवार.
===========================================