"नरम रोशनी के साथ एक आरामदायक बेडरूम में जागना"

Started by Atul Kaviraje, December 28, 2024, 09:28:15 AM

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Atul Kaviraje

सुप्रभात, शनिवार मुबारक हो

"नरम रोशनी के साथ एक आरामदायक बेडरूम में जागना"

सुनहरे सूरज की किरणों से झलकती सुबह, 🌅
नरम रोशनी में बिछी चादर, जैसे ख्वाबों की सुष्मा। ✨
सपनों के रंग, जो धीरे-धीरे मिटते हैं, 🌙
नवीन ऊर्जा से भरते हुए, हम फिर से जीते हैं। 💭

साफ-सुथरी चादरें, उष्णता की वह हल्की सी धारा, 🛏�
रात के सन्नाटे में बसा हुआ आरामदायक आसरा।
आलसी वक्ष पर गहरी सांस की नमी, 💨
रात की शांति में बसा सुख का प्रतीक, हर क्षण की सगाई। 🌸

बेडरूम की दीवारों में गूंजती है नर्म ध्वनियाँ, 🔊
प्यारी यादों की कहानियाँ, जैसे संगीत की तानें। 🎶
चांदनी में बिखरी हुई है हल्की सी रोशनी, 🌙
आंखों में बसी हुई है नमी की गहरी गवाही। 👁�

नरम रोशनी में छिपे हुए प्रेम के पल, ❤️
वो गहरी मोहब्बत, जो देता है दिल को हल्का।
रात के सन्नाटे में जब हम बिन बोले बात करें, 🤫
सपनों की लहरों पर, मन-मुंडेर सजा लें। 🌠

यह बेडरूम, एक शरणस्थली बन जाता है, 🏡
जहां कोई चिंता नहीं, सिर्फ प्यार की बुनावट होती है।
सुख के रंग में डूबे हम हर सुबह को स्वागत करें, 🌞
नरम रोशनी में प्यार और शांति की बहार हो। 🌷

संपूर्ण कविता में प्रतीकों और इमोजी का उपयोग:

🌅 (सूर्योदय)
✨ (नरम रोशनी)
🌙 (चाँद)
🛏� (बेड)
💭 (सोच)
💨 (हवा)
🌸 (फूल)
🔊 (ध्वनि)
🎶 (संगीत)
👁� (आंख)
❤️ (प्रेम)
🤫 (चुप रहना)
🌠 (आकाशगंगा)
🏡 (घर)
🌞 (सूरज)
🌷 (फूल)

     यह कविता नरम रोशनी में उठने और एक आरामदायक बेडरूम के माहौल में होने वाले सुख और शांति के अनुभव को व्यक्त करती है।

--अतुल परब
--दिनांक-28.12.2024-शनिवार.
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