राष्ट्रीय एकता के विकास हेतु कार्य –1

Started by Atul Kaviraje, December 28, 2024, 10:37:27 PM

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Atul Kaviraje

राष्ट्रीय एकता के विकास हेतु कार्य – एक विस्तृत विवेचनात्मक हिंदी लेख-

परिचय:

राष्ट्रीय एकता, किसी भी राष्ट्र की सफलता और प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह समाज के विभिन्न हिस्सों को जोड़कर एक समृद्ध और सशक्त राष्ट्र की नींव रखती है। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में जहां विभिन्न भाषाएं, संस्कृतियां, धर्म और जातियां हैं, वहां राष्ट्रीय एकता की अवधारणा विशेष महत्व रखती है। एकता के बिना देश की तरक्की असंभव होती है, क्योंकि विभाजन और भेदभाव राष्ट्र की सामूहिक शक्ति को कमजोर कर देते हैं।

राष्ट्रीय एकता का मुख्य उद्देश्य देश के सभी नागरिकों को समानता और भाईचारे के आधार पर एकजुट करना है, ताकि वे देश के विकास में सक्रिय रूप से योगदान दे सकें। इस लेख में हम राष्ट्रीय एकता के महत्व, इसके विकास हेतु किए गए कार्यों और उन उपायों पर चर्चा करेंगे, जिन्हें लागू करके हम इसे बढ़ावा दे सकते हैं।

राष्ट्रीय एकता का महत्व:
संवेदनशीलता और सहिष्णुता का विकास: राष्ट्रीय एकता समाज में सहिष्णुता और समझ को बढ़ावा देती है। यह विभिन्न समुदायों के बीच भेदभाव को खत्म करती है और एक दूसरे के विचारों और विश्वासों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाती है।

राष्ट्रीय सुरक्षा: जब देश के लोग एकजुट होते हैं, तो इसका असर राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी पड़ता है। एक मजबूत और एकजुट समाज दुश्मनों के मुकाबले ज्यादा शक्तिशाली होता है और किसी भी संकट से निपटने में सक्षम रहता है।

आर्थिक विकास: जब समाज में एकता होती है, तो यह आर्थिक विकास की राह को प्रशस्त करता है। एकजुट समाज मिलकर काम करता है, जिससे देश के विकास में तेजी आती है और समृद्धि की ओर अग्रसर होता है।

लोकतंत्र को मजबूती मिलती है: राष्ट्रीय एकता लोकतंत्र को मजबूत बनाती है क्योंकि जब समाज के विभिन्न वर्ग और समूह एकजुट होते हैं, तो वे मिलकर जनतांत्रिक प्रक्रियाओं को सही तरीके से लागू करते हैं।

राष्ट्रीय एकता के विकास हेतु कार्य:
शिक्षा प्रणाली में सुधार: राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहला कदम शिक्षा प्रणाली में सुधार लाना है। हमें विद्यार्थियों को छोटी उम्र से ही राष्ट्रीय एकता, भाईचारे और विविधताओं की ताकत के बारे में शिक्षा देनी चाहिए। स्कूलों में एकता, अखंडता और राष्ट्रीय सम्मान से संबंधित पाठ्यक्रमों को शामिल किया जा सकता है।

उदाहरण:
"एक भारत श्रेष्ठ भारत" योजना के तहत विभिन्न राज्यों के छात्रों को एक दूसरे के राज्यों की संस्कृति और परंपराओं के बारे में जानकारी दी जाती है, जिससे वे एक दूसरे को समझ सकें और आपस में अच्छे रिश्ते बना सकें।

सांस्कृतिक आदान-प्रदान: भारतीय संस्कृति की विविधता को समझना और स्वीकारना राष्ट्रीय एकता के लिए महत्वपूर्ण है। सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कार्यक्रमों को बढ़ावा देने से लोग एक-दूसरे की संस्कृति, परंपराओं और जीवनशैली को समझते हैं। इससे समाज में सहिष्णुता बढ़ती है और आपसी भेदभाव खत्म होते हैं।

उदाहरण:
भारत सरकार द्वारा आयोजित "सांस्कृतिक मेलों" और "सांस्कृतिक एक्सचेंज कार्यक्रमों" के तहत विभिन्न राज्यों के लोग अपनी संस्कृति, नृत्य, संगीत और कला का आदान-प्रदान करते हैं, जिससे एकता की भावना को बढ़ावा मिलता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-28.12.2024-शनिवार.
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