राष्ट्रीय एकता के विकास हेतु कार्य –2

Started by Atul Kaviraje, December 28, 2024, 10:37:54 PM

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Atul Kaviraje

राष्ट्रीय एकता के विकास हेतु कार्य – एक विस्तृत विवेचनात्मक हिंदी लेख-

धार्मिक सद्भावना और सहिष्णुता: भारत में अनेक धर्मों और विश्वासों के लोग निवास करते हैं। इसलिए धार्मिक सद्भावना और सहिष्णुता की भावना को बढ़ावा देना राष्ट्रीय एकता के लिए आवश्यक है। विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के बीच आपसी समझ और सम्मान का माहौल बनाना चाहिए।

उदाहरण:
"एकता दिवस" और "धार्मिक सद्भावना" से संबंधित कार्यकमों का आयोजन विभिन्न धार्मिक स्थानों पर किया जाता है, जहां सभी धर्मों के लोग एक साथ मिलकर भारत की एकता को मनाते हैं और सामूहिक रूप से काम करने का संकल्प लेते हैं।

राष्ट्रीय एकता दिवस और कार्यक्रमों का आयोजन: राष्ट्रीय एकता दिवस (31 अक्टूबर) जैसे विशेष दिन का महत्व है, क्योंकि ये दिन राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित होते हैं। इन दिनों पर शारीरिक परेड, जागरूकता अभियान और सामूहिक गतिविधियां आयोजित की जाती हैं, जो एकता की भावना को बढ़ाती हैं।

उदाहरण:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय एकता दिवस पर "एकता दौड़" का आयोजन किया, जिसमें देशभर के नागरिकों ने भाग लिया, जो कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।

लोकतांत्रिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना: राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि सभी नागरिक लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लें। चुनावों में मतदान करना, सरकारी योजनाओं में भागीदारी और नागरिक जिम्मेदारियों को समझना आवश्यक है। जब नागरिक अपनी सरकार को चुनने में भाग लेते हैं, तो यह राष्ट्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

उदाहरण:
भारत में चुनावों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए "वोट करो अभियान" जैसे कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जो लोगों को चुनावों में भाग लेने के लिए प्रेरित करते हैं और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देते हैं।

संविधान का आदर और पालन: भारतीय संविधान ने देश के विभिन्न समुदायों और धर्मों को समानता, न्याय और स्वतंत्रता का अधिकार दिया है। जब हम अपने संविधान का सम्मान करते हैं और उसके अनुसार कार्य करते हैं, तो यह राष्ट्रीय एकता को मजबूत करता है। संविधान की शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाना आवश्यक है।

उदाहरण:
"संविधान दिवस" पर स्कूलों और कॉलेजों में संविधान के महत्व पर भाषण और विचार-विमर्श आयोजित किए जाते हैं, जो नागरिकों में संविधान के प्रति सम्मान की भावना पैदा करते हैं।

निष्कर्ष:
राष्ट्रीय एकता किसी भी राष्ट्र की प्रगति और समृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए शिक्षण संस्थानों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, धार्मिक सद्भाव और लोकतांत्रिक भागीदारी को बढ़ावा देना आवश्यक है। इसके साथ ही, संविधान का पालन और पारस्परिक सम्मान की भावना को विकसित करना भी आवश्यक है। जब सभी नागरिक एकजुट होकर अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, तो देश को कोई भी चुनौती रोक नहीं सकती और हम एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र के रूप में उभर सकते हैं।

"हमारा उद्देश्य एक ऐसा समाज बनाना है, जहां विविधताएं एकता में तब्दील हो जाएं, और हर नागरिक को समान अवसर और सम्मान मिले।"

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-28.12.2024-शनिवार.
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