परिवार और समाज में उनकी भूमिका – 1

Started by Atul Kaviraje, December 30, 2024, 10:40:19 PM

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Atul Kaviraje

परिवार और समाज में उनकी भूमिका – उदाहरण सहित विस्तृत विवेचन-

परिवार और समाज दोनों ही मानव जीवन के अनिवार्य अंग हैं। परिवार एक छोटे से समुदाय के रूप में कार्य करता है, जबकि समाज बड़ा और व्यापक होता है। दोनों के बीच गहरे संबंध होते हैं, और ये एक-दूसरे पर गहरा प्रभाव डालते हैं। परिवार, व्यक्ति के पहले शिक्षक की भूमिका निभाता है, वहीं समाज व्यक्ति को एक बड़े ढांचे में घेरता है, जहां उसके कृत्य और व्यवहार को समाज के मूल्य और आदर्शों के अनुसार आंका जाता है।

परिवार की भूमिका
परिवार को समाज का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। परिवार में पले-बढ़े व्यक्ति समाज में आदर्श नागरिक बन सकते हैं, क्योंकि यह उन्हें संस्कार, शिक्षा, और जीवन के मूलभूत सिद्धांतों से परिचित कराता है। परिवार का हर सदस्य अपनी भूमिका निभाता है, चाहे वह माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी, या अन्य कोई सदस्य हो। परिवार एक ऐसी नींव है, जिस पर समाज की ईंटें रखी जाती हैं।

1. भावनात्मक और मानसिक समर्थन:
परिवार सदस्य एक-दूसरे का भावनात्मक रूप से समर्थन करते हैं। जब व्यक्ति किसी संकट से गुजरता है, तो परिवार ही उसे सबसे पहले सहारा देता है। उदाहरण स्वरूप, जब कोई सदस्य कठिन समय से गुजर रहा होता है, जैसे किसी प्रिय व्यक्ति की मृत्यु, तो परिवार के अन्य सदस्य उसे सांत्वना देने के लिए उसके पास होते हैं।

2. शिक्षा और संस्कार:
परिवार पहले स्कूल के रूप में कार्य करता है, जहां बच्चे को जीवन के पहले मूल्य और संस्कार सिखाए जाते हैं। भारतीय परिवारों में बच्चों को धर्म, नैतिकता, और सामाजिक जिम्मेदारियों का एहसास कराया जाता है। माता-पिता का आदर्श बच्चे के जीवन को दिशा देने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है।

3. सामाजिक पहचान और संस्कृतियों का आदान-प्रदान:
परिवार ही वह स्थान है जहां एक व्यक्ति अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान प्राप्त करता है। भारत में हर राज्य और समुदाय की अपनी विशेष संस्कृति, भाषा, और रीति-रिवाज होते हैं। परिवार के सदस्य बच्चों को इन मूल्यों और परंपराओं से अवगत कराते हैं, ताकि वे एक मजबूत सांस्कृतिक पहचान बना सकें।

4. सामाजिक दृष्टिकोण से परिवार का प्रभाव:
परिवार समाज में व्यक्ति की पहली सामाजिक पहचान बनाता है। व्यक्ति का पारिवारिक वातावरण समाज के साथ उसके संबंधों पर भी प्रभाव डालता है। अगर एक परिवार में सामूहिकता और एकता की भावना मजबूत होती है, तो उसी परिवार से बाहर निकलने पर व्यक्ति समाज में भी समान भावना विकसित करता है।

समाज की भूमिका
समाज का महत्व केवल परिवार से सीमित नहीं है, बल्कि समाज में रहने से व्यक्ति को बहुत सारे अनुभव, ज्ञान और अवसर प्राप्त होते हैं। समाज हमें बाहरी दुनिया के संपर्क में लाता है, हमारी सामाजिक जिम्मेदारियों का एहसास कराता है और हमारे कार्यों का मूल्यांकन करता है। समाज का स्वरूप उसकी संस्कृति, भाषा, धर्म, कानून, और राजनीतिक ढांचे से प्रभावित होता है।

1. सामाजिक नियंत्रण और व्यवस्था:
समाज अपने नागरिकों को अनुशासन में रखने के लिए कानून और नियम बनाए रखता है। उदाहरण स्वरूप, ट्रैफिक नियम, न्यायिक प्रक्रिया, और शिक्षा प्रणाली आदि। ये सभी समाज के विकास में सहायक होते हैं, और समाज में शांति व व्यवस्था बनाए रखने में मदद करते हैं।

2. समाज में एकता और अखंडता:
समाज में विभिन्न जाति, धर्म, और संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं। यहां विविधता में एकता की भावना होती है, और इसे बनाए रखना समाज की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। जब समाज में भेदभाव और नफरत बढ़ती है, तो समाज का विकास रुक जाता है। समाज में एकता और सामूहिकता की भावना जरूरी होती है, ताकि सभी लोग मिलकर एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-30.12.2024-सोमवार.
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