श्रीमद्भगवदगीता में विष्णु का संदेश-2

Started by Atul Kaviraje, January 01, 2025, 10:11:41 PM

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Atul Kaviraje

श्रीमद्भगवदगीता में विष्णु का संदेश-
(The Message of Lord Vishnu in the Bhagavad Gita)

आत्मा का अमरत्व (Immortality of the Soul):
भगवान श्री कृष्ण ने गीता में यह संदेश दिया कि आत्मा अमर है और शरीर नश्वर है। वह आत्मा न जन्मती है, न मरती है, वह केवल शरीर बदलती है। यह संदेश जीवन के दुखों और संघर्षों के संदर्भ में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। भगवान विष्णु ने यह बताया कि आत्मा की अमरता को समझकर हमें अपनी चिंता और डर को त्यागकर कर्तव्य पालन करना चाहिए।

उदाहरण:
श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा, "न जायते म्रियते वा कदाचित्" अर्थात आत्मा कभी जन्मती नहीं है और न कभी मरती है। यह संदेश हमें यह सिखाता है कि मृत्यु केवल शरीर का परिवर्तन है, आत्मा शाश्वत और अमर है। इस ज्ञान के माध्यम से अर्जुन को शांति और संतुलन प्राप्त हुआ।

कर्म योग (Yoga of Action):
श्री कृष्ण ने गीता में कर्मयोग का उपदेश दिया, जो यह कहता है कि हमें बिना किसी फल की इच्छा के अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। कर्म करना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है, और किसी भी कार्य में परिणाम की अपेक्षा न रखना हमें सच्चे योगी बनाता है। भगवान विष्णु ने अर्जुन से कहा कि वह अपने कर्मों को ईश्वर को समर्पित करें और फल की चिंता न करें।

उदाहरण:
श्री कृष्ण ने कहा, "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।" अर्थात तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, परिणाम पर नहीं। इस उपदेश का मतलब है कि हमें केवल कर्म करना चाहिए, न कि उसके परिणामों को लेकर चिंता करनी चाहिए। इस विचारधारा से एक व्यक्ति अपने जीवन में संतुलन और शांति पा सकता है।

योग का मार्ग (The Path of Yoga):
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने योग के विभिन्न रूपों पर भी चर्चा की, जैसे कि भक्ति योग, कर्म योग, और ज्ञान योग। प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वभाव के अनुसार योग का पालन करना चाहिए। भगवान विष्णु ने यह बताया कि जो व्यक्ति नियमित रूप से योग का अभ्यास करता है, वह अपने आत्मा के साथ जुड़ता है और जीवन के उच्चतम उद्देश्य को प्राप्त करता है।

उदाहरण:
श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि भक्ति के मार्ग पर चलने से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है और वह भगवान के साथ एकाकार हो जाता है। इस मार्ग में श्रद्धा और आत्मसमर्पण की आवश्यकता होती है।

निष्कर्ष:
भगवान विष्णु का संदेश श्रीमद्भगवदगीता में अत्यधिक गहन और जीवनदायिनी है। गीता में दिए गए उनके उपदेश मानवता के लिए अमूल्य हैं और हमें यह सिखाते हैं कि हमें अपने कर्तव्यों को निभाने में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, भगवान में विश्वास रखना चाहिए, आत्मा की अमरता को समझना चाहिए, और बिना किसी स्वार्थ के कार्य करना चाहिए। भगवान विष्णु का संदेश हमें सत्य, धर्म, और भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। गीता का यह ज्ञान जीवन को सुसंगत और उद्देश्यपूर्ण बनाता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-01.01.2025-बुधवार.
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