"सुबह की रोशनी के साथ खुली किताब"

Started by Atul Kaviraje, January 02, 2025, 08:54:07 AM

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Atul Kaviraje

सुप्रभात, शुभ गुरुवार मुबारक हो

"सुबह की रोशनी के साथ खुली किताब"

सुबह की रोशनी ने छुआ है आकाश,
खुली किताब में बसी है नयी आश। 🌅📖
सूरज की किरणें झलक रही हैं पन्नों पर,
हर शब्द, हर लाइन, दिल में भर रही है असर। ✨

पृष्ठ पलटते हैं, जैसे मन की बातें,
खुली किताब में बसी हैं नयी सूरतें।
प्रकाश का स्पर्श, और सर्द हवाएं,
ज्ञान की गहराई में नये रंग लाए। 🌞💡

पन्नों पर चमकते हैं विचारों के मोती,
सुबह की रोशनी में ये बेमिसाल होती।
हर शब्द की गूंज, हर ओहदा समझ,
हमारे जीवन में लाती है नयी उमंग। 💫🌻

उजालों में समेटा है हर एक ज्ञान,
खुली किताब से मिलता है सही मान।
सुबह का समय, और शब्दों का जादू,
सपनों में बसी है नई राहों का राज़ू। 📚🌞

रोशनी की सवारी में खुला ज्ञान का संसार,
खुली किताब से मिलता जीवन का सार।
हर पंक्ति, हर लेख, नए पंख लगाए,
सुबह की रोशनी में, हम भी नये रंग पाए। 🌟📖

     यह कविता सुबह की रोशनी में खुली किताब के अद्भुत सौंदर्य और ज्ञान को दर्शाती है। जैसे सूरज की किरणें किताब के पन्नों को रोशन करती हैं, वैसे ही ज्ञान और विचार जीवन को नये दिशा और उम्मीद देते हैं। कविता यह संदेश देती है कि हर नया दिन नयी संभावना लेकर आता है, और किताब हमें जीवन के सच्चे अर्थ और मार्ग दिखाती है। यह सुबह के समय को ज्ञान, आशा और सकारात्मकता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करती है।

प्रतीक और इमोजी:

🌅 - सुबह की रोशनी, नया आरंभ
📖 - खुली किताब, ज्ञान और जानकारी
✨ - चमक, नए विचार
🌞 - सूरज, आशा और ऊर्जा
💡 - ज्ञान और उजाला
💫 - सकारात्मकता और प्रेरणा
🌻 - उमंग, ताजगी
📚 - पुस्तकें, सीखने का मार्ग
🌟 - नयी शुरुआत, आत्मविश्वास

--अतुल परब
--दिनांक-02.01.2025-गुरुवार.
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