"जानवरों के साथ एक खेत पर गोधूलि"

Started by Atul Kaviraje, January 02, 2025, 09:58:00 PM

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Atul Kaviraje

शुभ संध्या, शुभ गुरुवार मुबारक हो

"जानवरों के साथ एक खेत पर गोधूलि"

गोधूलि में छाई है चांदनी की रौशनी,
खेतों में बह रहा है ठंडी सी हवा की गुनगुनाहट। 🌾🌙
गायें लौट रही हैं अपनी गौशाला की ओर,
साथ ही घोड़े भी कर रहे हैं आराम, शांति से ठहर। 🐄🐎

सूरज की किरणें अब हल्की सी हो रही हैं फीकी,
आकाश में रंग बिखरे, सुनहरे, गुलाबी, और नीले। 🌅🎨
भेड़ें चरने को रुक रही हैं, बकरियाँ फुर्ती से चलती,
मूलों पर नाच रही हैं मुर्गियाँ, गाने लगे बटेरें। 🐑🐐🐔

पक्षियों का कलरव सुनाई देता है दूर-दूर तक,
आसमान में उनका परचम है, जैसे हवा में उड़ान। 🐦💨
आगे खेतों में खड़ी हैं फसलें हरियाली में लहराती,
संध्या की छाया में सब कुछ शांत सा नजर आता। 🌿🌞

चाँद की रोशनी में सब कुछ धुंधला सा दिखता,
फूलों की खुशबू हवा में बिखर जाती। 🌸🌙
गोधूलि समय में सब कुछ है एक संग,
प्राकृतिक सौंदर्य का मिलन, शांति का गाना। 🎶💫

     यह कविता गोधूलि के समय खेतों में जानवरों और प्राकृतिक सुंदरता का चित्रण करती है। गायें, घोड़े, भेड़ें, बकरियाँ और पक्षी सभी शांत वातावरण में अपना समय बिता रहे होते हैं। सूर्यास्त के समय आकाश के रंग और चाँद की रोशनी से वातावरण शांत और सौम्य महसूस होता है।

प्रतीक और इमोजी:

🌾🌙 - खेत और गोधूलि समय
🐄🐎 - गायें और घोड़े, शांति से विश्राम
🐑🐐🐔 - भेड़ें, बकरियाँ और मुर्गियाँ
🐦💨 - पक्षी और हवा का संगीत
🌸🌙 - फूलों की खुशबू और चाँद की रौशनी
🌿🌞 - हरियाली और सूर्यास्त का समय
🎶💫 - शांति और प्राकृतिक संगीत

--अतुल परब
--दिनांक-02.01.2025-गुरुवार.
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