"शाखा पर बैठे सुबह के पक्षी"

Started by Atul Kaviraje, January 03, 2025, 09:19:27 AM

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Atul Kaviraje

सुप्रभात, शुक्रवार मुबारक हो

"शाखा पर बैठे सुबह के पक्षी"

सुबह की रोशनी ने आकर रंग बिखेरे,
पक्षी बैठे शाखा पर, जैसे कुछ सिखाने को कहे। 🌅🐦
उनकी चहचहाहट में है एक मीठी ग़ज़ल,
जो हमें जीने का तरीका समझाए, हलचल। ✨

शाखाओं पर झूमें पक्षी, नाचते हुए गीत,
सूरज की किरने में, जैसे हर दिन हो जीत। 🌞🎶
फूलों की खुशबू, हवाओं में समाई,
पक्षियों के गीतों में, सुबह मुस्काई। 🌸💨

हर पंख में उम्मीद, हर चोंच में बात,
पक्षी हमें सिखाते हैं, खुश रहने की बात। 🌿🕊�
न तो वे चिंता करते, न समय की होती परवाह,
वो हर पल में जीते, और दिखाते हमें सही राह। 🌟

शाखा पर बैठे, ये चहचहाते पक्षी,
प्राकृतिक संगीत में खो जाते हैं बसी। 🎶🌳
सपने तो अपनी चोंच में छुपाए हुए,
हर एक दिन को अपने गीतों से सजाए हुए। 💫🌞

सुबह का उजाला, और पक्षियों की सभा,
मन को शांति मिले, यही हो सबसे बड़ा सपना।
फांदी पर बैठे, पक्षी हर सुबह का राज,
जीवन को आसान बनाए, उनका हर्षित नायक। 🕊�🌅

     यह कविता सुबह के समय शाखा पर बैठे पक्षियों की चहचहाहट और उनके जीवन से जुड़े संदेशों का वर्णन करती है। पक्षी हमें खुश रहने, हर पल को जीने और चिंता छोड़ने की प्रेरणा देते हैं। उनकी चहचहाहट और प्राकृतिक संगीत जीवन में शांति, खुशी और नये उत्साह का संदेश देती है। यह कविता हमें बताती है कि हर दिन को एक नए अंदाज में जीना चाहिए और अपने भीतर की शांति को पहचानना चाहिए।

प्रतीक और इमोजी:

🌅 - सुबह का उजाला, नई शुरुआत
🐦 - पक्षी, स्वतंत्रता और आनंद
🎶 - संगीत, खुशी और जीवन का गीत
🌞 - सूरज, आशा और ऊर्जा
🌸 - फूल, सौंदर्य और शांति
💨 - हवा, ताजगी और शांति
🌿 - निसर्ग, जीवन और स्थिरता
🕊� - शांति, स्वातंत्र्य

--अतुल परब
--दिनांक-03.01.2025-शुक्रवार.
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