महिला मुक्तिदिन - कविता-

Started by Atul Kaviraje, January 03, 2025, 10:23:54 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

महिला मुक्तिदिन - कविता-

महिला मुक्तिदिन आया, अब न कोई रोक पाए,
स्वतंत्रता की धारा, नारी अब हर कदम बढ़ाए। 🌸✊

समानता का अधिकार, सबको अब मिला,
कर्म, शिक्षा, अवसर, हर दुआ पूरी हुई इंसान खिला। 📚🌺

नारी को नहीं अब कोई रोक सकता,
आत्मविश्वास में डूबी, हर मोर्चे पर लड़ा। 💪🎉

जिन्हें कभी देखा था, चुपचाप खोने के डर से,
अब वे उठ खड़ी होती हैं, खुद को दिखाने के धर से। 🌟✨

आज़ादी का एहसास, नारी को अब है मिल,
हर हिस्से में उनकी आवाज़, सुनें लोग जिनकी आवाज़ में जादू है दिल। 💖🕊�

हर कदम पर वो आगे बढ़ती जाएं,
समाज की दीवारें टूटती जाएं। 🚶�♀️🏛�

समानता की धारा में सबका हाथ हो,
हर अधिकार से महिलाएं सजीव और सशक्त हो। 🙌🔓

महिला मुक्तिदिन है आज, एक संदेश वो लाए,
जो अब तक थीं बंद, वे सभी खुलकर मुस्काएं। 😊🌞

अर्थ:
महिला मुक्तिदिन महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता की जश्न है। यह कविता महिलाओं के संघर्ष, सशक्तिकरण, समानता, और आत्मविश्वास का प्रतीक है। समाज में महिलाओं को मिले अधिकारों को महसूस करते हुए यह दिन नारी की शक्ति और स्वतंत्रता का उत्सव है।

--अतुल परब
--दिनांक-03.01.2025-शुक्रवार.
===========================================