"दोपहर की धूप में सड़क विक्रेता"

Started by Atul Kaviraje, January 04, 2025, 06:42:13 PM

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Atul Kaviraje

शुभ दोपहर, शनिवार मुबारक हो

"दोपहर की धूप में सड़क विक्रेता"

दोपहर की धूप में, गर्मी का असर,
सड़क विक्रेता खड़े, बेच रहे हैं सफर। 🌞🛒
फलों के ढेर, गरम चाय के प्याले,
हाथों में सपने, दिलों में सवालें। 🍉🍊

सड़क किनारे, चलती रहती है जिंदगी,
हर कदम पर कुछ नया, हर पल में मस्ती। 🏙�💫
विक्रेता बेचते हैं अपना सपना,
धूप की तपिश में, लहराती हुई कमाना। ☀️💪

उनके चेहरे पर मुस्कान की किरण,
गर्मी को मात देती उनकी मेहनत की बिन। 🌞💛
यह विक्रेता नहीं, असली योद्धा हैं,
जो दोपहर की तपिश में अपना काम सवारते हैं। 🛍�🔥

     यह कविता सड़क विक्रेताओं की संघर्ष की कहानी है, जो दोपहर की धूप में भी अपनी मेहनत से जीवन को सजाते हैं। उनका हर कदम एक संघर्ष और हर मुस्कान एक सफलता है।

--अतुल परब
--दिनांक-04.01.2025-शनिवार.
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