"गर्म सुनहरी रोशनी के साथ खुले मैदान"

Started by Atul Kaviraje, January 05, 2025, 05:05:14 PM

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Atul Kaviraje

शुभ दोपहर, रविवार मुबारक हो

"गर्म सुनहरी रोशनी के साथ खुले मैदान"

सूरज की किरणें, फैलती हैं दूर-दूर,
खुला मैदान, हरियाली में भरपूर। 🌿☀️
गर्म सुनहरी रोशनी से सजा हर रास्ता,
आसमां की छांव में बैठा है सपना। 🌅🌻

उंचे पेड़, ठंडी हवा का गीत,
आधिकारिक रूप से करती है वह मिट्टी से मिल। 🌳🍃
फूलों की खुशबू, हवा में बहती है,
दिलों में शांति, हर जगह सुकून से महकती है। 🌺🍂

खुला मैदान जैसे जीवन का रंग,
जो देता है शांति, और नये गीतों का संग। 🎶✨
सुनहरी धूप में, हर दृश्य बेहद प्यारा,
आस-पास फैला संसार लगता है अद्भुत, न्यारा। 🌞🍀

     यह कविता गर्म सुनहरी रोशनी और खुले मैदान में शांति और सौंदर्य की बात करती है। यह नये दृष्टिकोण और सकारात्मक ऊर्जा से जीवन को भर देती है।

--अतुल परब
--दिनांक-05.01.2025-रविवार.
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