"जलमार्ग पर प्रतिबिंबित होती शहर की रोशनी"

Started by Atul Kaviraje, January 06, 2025, 10:05:15 PM

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Atul Kaviraje

शुभ संध्या, सोमवार मुबारक हो

"जलमार्ग पर प्रतिबिंबित होती शहर की रोशनी"

शहर की रोशनी जल में जैसे नृत्य करती है,
हर रौशनी अपनी चमक से नये रास्ते बनाती है। 🌆💡
जलमार्ग पर ये रौशनियां टिमटिमाती हैं,
दिल को एक नई राह दिखाती हैं। 🌊✨

नदी का पानी और शहर का उजाला,
दूर से देखो तो लगता है, जैसे सितारे गिरे हों।
हर लहर में छुपा एक सपना सा प्रतीत होता है,
शहर की रौशनी से सजी एक दुनिया बनती है। 🌟🌙

     शहर की रात और जलमार्ग का अद्भुत दृश्य, जो हमें जीवन में नई राह और आशा दिखाता है।

--अतुल परब
--दिनांक-06.01.2025-सोमवार. 
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