अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भारत की सफलता-

Started by Atul Kaviraje, January 06, 2025, 10:42:40 PM

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Atul Kaviraje

अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भारत की सफलता-

भारत एक विविध और सांस्कृतिक धरोहर वाला देश है, और यहां की खेल परंपरा भी अत्यंत समृद्ध रही है। हालांकि भारतीय खेलों की शुरुआत बहुत पुरानी नहीं मानी जाती, फिर भी पिछले कुछ दशकों में भारतीय खिलाड़ियों ने अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में अपने प्रदर्शन से पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन किया है। चाहे वह ओलंपिक हो, एशियाई खेल हो या कॉमनवेल्थ गेम्स, भारत ने विभिन्न खेलों में निरंतर सफलता हासिल की है। इस लेख में हम भारत की अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में सफलता, उसकी विशेष उपलब्धियों, और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

भारत की खेल यात्रा: एक संक्षिप्त परिचय
भारत में खेलों का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है, विशेष रूप से महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथों में युद्ध कला और शारीरिक क्षमता को बढ़ाने वाले खेलों का वर्णन मिलता है। आधुनिक काल में, ब्रिटिश शासन के दौरान खेलों की शुरुआत हुई, और धीरे-धीरे भारतीय खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी खेलने लगे। पहले पहल क्रिकेट, हॉकी, कुश्ती, और बैडमिंटन जैसे खेलों में भारत ने अपनी छाप छोड़ी, लेकिन अब भारत अन्य खेलों में भी उत्कृष्टता प्राप्त करने में सफल हो रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भारत की सफलता के उदाहरण

ओलंपिक खेल
भारतीय खिलाड़ियों ने ओलंपिक खेलों में बड़ी सफलता हासिल की है, विशेष रूप से हॉकी, कुश्ती, बैडमिंटन और एथलेटिक्स में।

नीरज चोपड़ा (2020, टोक्यो ओलंपिक):
भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा ने 2020 के टोक्यो ओलंपिक में भालाफेंक में स्वर्ण पदक जीता। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था क्योंकि 13 वर्षों के बाद भारत को ओलंपिक में स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ। नीरज चोपड़ा की सफलता ने भारतीय एथलेटिक्स को एक नई दिशा दी और पूरे देश को गर्व महसूस कराया।

साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया (2016, रियो ओलंपिक):
2016 के रियो ओलंपिक में, भारतीय पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती में कांस्य पदक जीता, जबकि बजरंग पुनिया ने भी कुश्ती में भारत को पदक दिलवाया। दोनों ने खेलों में भारत की स्थिति को और मजबूती से स्थापित किया।

कॉमनवेल्थ गेम्स
भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स में निरंतर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स:
भारत ने गोल्ड कोस्ट में 26 स्वर्ण पदक, 20 रजत और 20 कांस्य पदक जीतकर कुल 66 पदक जीते, जो एक शानदार सफलता थी। इसमें सानिया मिर्जा, बाईड्या के श्रीशंकर, और विनेश फोगट जैसे खिलाड़ी प्रमुख थे।

2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स:
भारत ने 64 पदक जीते, जिसमें 15 स्वर्ण, 30 रजत और 19 कांस्य शामिल थे। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।

एशियाई खेल
भारतीय खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों में भी अपनी पहचान बनाई है।

2018 एशियाई खेल (जकार्ता):
भारत ने इस खेल में 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य सहित कुल 69 पदक जीते। कुश्ती, शूटिंग और बैडमिंटन जैसे खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।

2014 एशियाई खेल (इंचियोन):
भारत ने 57 पदक जीते थे, जिसमें 11 स्वर्ण, 9 रजत और 37 कांस्य शामिल थे। इस प्रदर्शन ने भारत को एशियाई खेलों में अपनी ताकत का अहसास कराया।

हॉकी
हॉकी भारत का परंपरागत और गौरवमयी खेल रहा है। भारतीय हॉकी टीम ने 1928 से लेकर 1980 तक कई ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते थे, लेकिन अब फिर से भारतीय टीम ने अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त किया है।

2016 रियो ओलंपिक:
भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने रियो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन किया और चौथे स्थान पर रही, जो भारतीय हॉकी के लिए एक बड़ा कदम था।

2018 हॉकी विश्व कप:
भारत ने हॉकी में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और 2018 में हॉकी विश्व कप में एक अहम स्थान प्राप्त किया।

बैडमिंटन
बैडमिंटन में भारत ने एक नई पहचान बनाई है। पीवी सिंधु, साइना नेहवाल, कृष्णन श्रीकांत और किदांबी श्रीकांत जैसे खिलाड़ियों ने भारत का नाम रोशन किया है।

पीवी सिंधु ने 2016 रियो ओलंपिक में रजत पदक जीता और 2019 विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं।

साइना नेहवाल ने 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था, जो भारत के बैडमिंटन इतिहास में एक मील का पत्थर था।

भारत की खेलों में सफलता के कारण

सरकारी और निजी प्रोत्साहन:
भारत सरकार और निजी कंपनियां खेलों में निवेश कर रही हैं, जो खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण, संसाधन और सुविधाएं प्रदान कर रही हैं। खेल मंत्रालय की योजनाओं जैसे 'किसान खेल योजना' और 'पद्म पुरस्कार योजना' ने खेलों के प्रति रुचि बढ़ाई है।

अंतर्राष्ट्रीय खेल अकादमियों का गठन:
भारत में क्रीड़ा अकादमियां और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां प्रशिक्षक और कोच खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करते हैं। यह अकादमियां जैसे पद्मश्री खेल अकादमी और पंजाब खेल अकादमी भारतीय खेलों को एक नया आयाम दे रही हैं।

प्रेरणास्त्रोत और आदर्श:
भारत में अब कई खेलों में सफलता की प्रेरणा देने वाले खिलाड़ी उभर कर सामने आ रहे हैं। नीरज चोपड़ा, सानिया मिर्जा, पीवी सिंधु, साक्षी मलिक, और विनेश फोगट जैसे खिलाड़ी आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श बन गए हैं।

निष्कर्ष
अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भारत की सफलता यह दर्शाती है कि जब खेलों में सही मार्गदर्शन, संसाधन और समर्पण होता है, तो कोई भी देश अपनी सीमाओं को पार कर सकता है। भारत ने अपनी खेल यात्रा में कई संघर्षों के बावजूद आश्चर्यजनक सफलता हासिल की है। आगे आने वाले वर्षों में, अगर भारत के खिलाड़ियों को सही प्लेटफार्म और सुविधाएं मिलती हैं, तो हम भारत को खेलों के ग्लोबल मैप पर एक और प्रमुख ताकत के रूप में देख सकते हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-06.01.2025-सोमवार. 
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